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Elephants in Mainpat: Video: मैनपाट के टाइगर प्वाइंट के नजदीक पहुंचा 9 हाथियों का दल, पर्यटकों को किया गया सावधान गांववालों का कहना है कि हाथियों ने खेतों में खड़ी फसलों को रौंद दिया है। कई किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो
हाथियों का यह झुंड अब जंगल से सटे गांवों की सड़कों पर भी दिखने लगा है। खासतौर पर गिंदोला, खोसड़ा और कुकरीकोना की गलियों में ये हाथी रात में घूमते हैं। इससे शाम होते ही गांव में सन्नाटा छा जाता है। लोग जान हथेली पर लेकर जी रहे हैं। वन विभाग के मुताबिक, झुंड में कुल 28 हाथी हैं।
इनमें 14 छोटे हैं। हाथी जब अपने बच्चों के साथ होते हैं, तो ज्यादा सतर्क और आक्रामक हो जाते हैं। वन विभाग ने गांवों में मुनादी कराई है। लोगों को चेताया गया है कि हाथियों के पास न जाएं। उन्हें भगाने या परेशान करने की कोशिश न करें। विभाग ने ये भी कहा है कि मवेशियों को घर में या सुरक्षित जगह बांधकर रखें। अगर हाथी गांव के आसपास दिखें, तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें।
बरसात करीब है। किसानों ने खरीफ की तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन हाथियों के गांव में डेरा जमाने से खेती करना मुश्किल हो गया है। लोग दिनभर डर के साए में रहते हैं और रात में बाहर निकलना बंद कर चुके हैं। वन अफसरों का कहना है कि हाथियों के मूवमेंट लगातार नजर रखे हुए हैं। फॉरेस्ट स्टाफ सक्रिय है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे सतर्क रहें। वन विभाग के निर्देशों का पालन करें। बेवजह जंगलों की ओर न जाएं। हाथियों को परेशान करने की कोशिश करने से मना किया है।
हाथी मित्रों के जरिए करवा रहे निगरानी हाथियों के मूवमेंट पर वन विभाग सतत निगरानी रख रहा है। हाथी मित्रों को अलर्ट किया गया है। झुंड की ट्रैकिंग की जा रही है। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस तरह की स्थिति मानसून से पहले अक्सर देखने को मिलती है, लेकिन इस बार खतरा ज्यादा है क्योंकि झुंड में छोटे हाथियों की संया भी अधिक है। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले अर्जुनी वन परिक्षेत्र में एक हाथी के हमले में एक किसान की मौत हो चुकी है। वहीं, एक महिला भी हाथी की चपेट में आकर जान गंवा चुकी है। ऐसे में गांववालों की चिंता बढ़ गई है।
अधिकारी बोले- हाथियों ने घने जंगलों में डेरा डाल रखा है। बरसात से पहले ये झुंड वापस गिंदोला-खोसड़ा-कुकरीकोना के जंगलों में लौट आया है।