अंतिम समय में ये किताब पढ़ रहे थे Bhagat Singh
भगत सिंह को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। अपने स्कूल के दोस्त जयदेव कपूर से कहकर उन्होंने तीन किताबें कार्ल लीबनेख़्त की ‘मिलिट्रिज़म’, लेनिन की ‘लेफ़्ट विंग कम्युनिज़म’ और साथ ही आप्टन सिंक्लेयर का उपन्यास ‘द स्पाई मंगवाई थी। फांसी के कुछ समय पहले तक वो किताबें पढ़ रहे थे। अंतिम समय में भगत सिंह लेनिन की जीवनी “State and Revolution” पढ़ रहे थे, जो उन्होंने अपने वकील प्राण नाथ मेहता से फांसी से कुछ समय पहले मंगवाई थी। इतना ही नहीं जब उनसे उनकी आखिरी ख्वाहिश पूछी गई तो उन्होंने बताया कि वो किताब पढ़ रहे हैं और फांसी के लिए कुछ देर ब्रिटिश सरकार रुक जाएं ताकि वो अपना किताब खत्म कर सकें। यही उनकी आखिरी इच्छा भी थी। उन्होंने आग्रह करते हुए थे कहा कि एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से बात कर रहा है, इसलिए कुछ देर रुक जाएं। किताब खत्म करने के बाद उन्होंने किताब को ऊपर की तरफ उछाला और कहा, “चलो अब चलें”।Bhagat Singh का आखिरी संदेश क्या था?
कई किताबों और मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि जब भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील मेहता उनसे मिलने पहुंचे तो उन्होंने भगत सिंह से पूछा कि आप देश के नाम कोई संदेश देना चाहते हैं? तो भगत सिंह ने जवाब में कहा कि, ” सिर्फ़ दो संदेश… साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और ‘इंक़लाब ज़िदाबाद!” भगत सिंह ने अपने वकील से यह भी कहा कि मेरा धन्यवाद पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस को पहुंच दें। क्योंकि उन दोनों ने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी और नजर बनाए हुए थे।
Bhagat Singh की प्रिय किताबें
वैसे तो भगत सिंह का शौक ही पढ़ना था। लेकिन उसमें भी वे लेनिन , जो एक रूसी क्रांतिकारी थे, उनको बहुत पसंद करते थे। अपने अंतिम समय में भी वे लेनिन की ही किताब “State and Revolution” पढ़ रहे थे। Left-Wing” Communism: An Infantile Disorder, भी उनकी पसंदीदा किताबों में से एक थी। इसके अलावा Land Revolution in Russia, Materialism( karl liebknecht) भी उन्होंने पढ़ा था। भगत सिंह ने “why i am an atheist” नामक किताब भी लिखी थी।