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इस अवसर पर साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादे को सरकार द्वारा पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूर्ण कर रही है। इन इकाइयों से लगभग दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
आयुर्वेदिक औषधियों की कच्ची सामग्रियां जंगलों से एकत्रित कर संयंत्रों तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे वनवासियों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत का सबसे बड़ा प्रसंस्करण इकाई है।
यह संयंत्र आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में बनेगी। कार्यक्रम को वनमंत्री केदार कश्यप ने भी संबोधित किया। 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई से प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपए मूल्य के उत्पाद तैयार किए जाने का अनुमान है।
अपने हाथों से पहनाया चरण पादुका
इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ग्राम बड़़भूम जिला बालोद की हितग्राही शकुंतला कुरैटी को अपने हाथों से चरण पादुका पहनाया। इसके साथ ही अन्य हितग्राही वैजयंती कुरैटी, निर्मला उईके, ललिता उईके, अघनतीन उसेंडी को भी वन मंत्री सहित सभी अतिथियों ने अपने हाथों से चरण पादुका पहनाया।
आंवला और सीता फल का पौधा लगाया
मुख्यमंत्री ने लोकार्पण के पहले आंवला का पौधा रोपित किया। इसके साथ ही वन मंत्री कश्यप ने सीताफल का पौधा, सांसद विजय बघेल ने बेल व महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशनंद गिरी ने सीताफल का पौधा रोपित किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लोगों से एक पेड़ मां के नाम अभियान में जुडऩे का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मां के नाम पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए।