वहीं, छात्राओं ने छात्रावास की बदहाल व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुक्रवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग की। कलेक्टर ने टीएडी (जनजाति क्षेत्रीय विकास) विभाग के अधिकारियों को तत्काल जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
छात्रावास में बदहाली का आलम
डूंगरपुर शहर के एसबीपी कॉलेज भवन के पीछे स्थित अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास में 100 छात्राएं रहती हैं, लेकिन पिछले आठ महीनों से केवल 50-60 छात्राएं ही उपस्थित हैं। छात्राओं का आरोप है कि रिकॉर्ड में 100 की फर्जी हाजिरी दिखाकर पैसा हड़पा जा रहा है। पिछले एक साल से उन्हें कीड़े वाली दाल और खराब चावल खाने को दिए जा रहे हैं, जिससे कई छात्राएं बीमार हो चुकी हैं। तय मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं मिलता और सप्ताह में एक दिन मीठा भोजन देने का प्रावधान भी लागू नहीं हो रहा। छात्राओं ने बताया कि वार्डन मीना परमार हर रात 6 बजे के बाद अपने घर चली जाती हैं, जिससे छात्रावास में सुरक्षा का अभाव है। रात में कोई चौकीदार नहीं है और सीसीटीवी कैमरे भी एक साल से बंद पड़े हैं। छात्राओं को खुद रोटियां बनानी पड़ती हैं, क्योंकि दो कुक-हेल्पर केवल सब्जी बनाती हैं। तेल, साबुन जैसी बुनियादी चीजें समय पर नहीं मिलतीं। पुस्तकालय और कंप्यूटर जैसी शैक्षणिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। शिकायत करने पर वार्डन छात्राओं को हॉस्टल से निकालने की धमकी देती हैं।
सांसद राजकुमार रोत ने सरकार को घेरा
सांसद राजकुमार रोत ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि आदिवासी कल्याण के लिये सरकारे करोड़ो-अरबो खर्च करने का दावा करती है, लेकिन हकीकत वह पैसा भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाता है। यही हाल है राजस्थान के भाजपा राज में बहुउद्देश्यीय आदिवासी बालिका छात्रावास डूंगरपुर का, जहां व्यवस्था खस्ताहाल और भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। बालिकाएं सड़ा-गला खाना खाने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि TAD मंत्री बाबूलाल खराड़ी धर्म का चूर्ण खाकर सोये मत रहो। आपकी उदासीनता की वजह से आपके कार्यकाल के अंतर्गत आने वाले TAD विभाग के छात्रावासों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है, अभी भी वक्त है नींद से अतिशीघ्र जागे और ऐसे भ्रष्ट वार्डनों व सामग्री सप्लायरों पर तत्काल कार्यवाही करें।
सांसद रोत ने एक पत्र लिखकर मांग की कि छात्रावास में साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, बिजली, सुरक्षा और शैक्षणिक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। साथ ही, छात्राओं की नियमित चिकित्सा जांच और पोषणयुक्त भोजन की व्यवस्था हो।
कलेक्टर ने शुरू की जांच
छात्राओं के ज्ञापन के बाद जिला कलेक्टर ने टीएडी उपायुक्त और एसपी कस्वा को जांच के निर्देश दिए। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि छात्रावास में छात्राओं से काम कराया जा रहा है, चौकीदार की कमी है और भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है। जांच के आधार पर दोषी वार्डन, भोजन आपूर्तिकर्ता और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।