Happy Mother’s Day 2025: पति के जाने के बाद शुरू हुआ शांति का संघर्ष
ये कहानी है रामपुर वार्ड धमतरी निवासी शांति यादव की। इन्होंने लगातार संघर्ष कर बेटी आस्था यादव को वॉलीबाल की नेशनल प्लेयर बनाई और
परिवार का सहारा भी बनी। शांति बताती है कि 2010 में पति सुरेश यादव की मृत्यु हो गई। परिवार के मुखिया के चले जाने से आर्थिक और मानसिक परिदृश्य ने घेर लिया। 6 महीने तक कुछ नहीं सुझाया गया। कई बार टूटी, लेकिन बेटी आस्था और बेटा अंशुल को देखकर हिमत जुटाई।
घर में ही नौकरीपेशा वालों के लिए टिफिन तैयार करने का काम शुरू की। साथ ही एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी भी करने लगी। यहां महीने में सिर्फ 1 हजार डॉलर ही अप्लाई मिलरहा था। उक्त आय परिवार चलाने के लिए नाकाफी थी। दूसरे स्कूल में शिक्षिका की नौकरी की। यहां 4 हजार रूपए मानदेय था। यहां भी आर्थिक संकट ने पीछा नहीं छोड़ा। इस बीच बच्चों के भविष्य को लेकर रायपुर में नौकरी करनी पड़ी। बेटी आज वॉलीबाल नेशनल प्लेयर है। बेटा पढ़ाई कर रहा है।
प्रैक्टिस के लिए 2 किमी पैदल सफर, ईनाम में मिली सायकिल
वॉलीबाल नेशनल प्लेयर आस्था यादव (21) ने बताया कि जब वह क्लास- 3 में थीं तब पिता की डेथ हो गई। इस समय मैं 6 साल की थी। मां के संघर्ष और अभाव भरे जीवन को नजदीक से देखा है। वॉलीबाल खेल में कैरियर बनाने का सपना था। राह मुश्किलों से भरा था। प्रैक्टिस के लिए घर से मिशन मैदान तक लगभग 2 किमी पैदल जाती थी। घर की हालत देखकर मां को सायकिल के लिए भी नहीं बोल पाती थी। 2016-17 में स्टेट लेवल वॉलीबाल टुर्नामेंट में सलेक्शन हुआ। यहां ईयर ऑफ द टुर्नामेंट का पहला अवार्ड मिला। ईनाम में एक साइकिल भी मिली। जिसकी बेहद जरूरत थी। मेरे खेल कौशल को देखकर सांई एकेडमी
रायपुर के कोच नीतिन पांडे, अकरम खान ने रायपुर बुलाए और यहां सांई में सलेक्शन हुआ। यहां से फिर सपना पूरा होते दिखा।
आस्था ने बताया कि अब तक वह 15 नेशनल खेल चुकी है। 20 से अधिक स्टेट लेवल टुर्नामेंट में बेस्ट प्लेयर का अवार्ड मिल चुका है। नेशनल यूनिवर्सिटी चैपियनशिप-2024 में ब्रांज मैडल मिला। साथ ही ऑल इंडिया वॉलीबाल चैपियनशिप में दर्जनों मैडल मिल चुके हैं। आस्था ने कहा कि भविष्य में वह वॉलीबाल खेल में ही आगे बढ़ते हुए पुलिस या आर्मी में जाने की तैयारी कर रही है।