यहां 889 किसानों ने 3 करोड़ 6 लाख 49 हजार रूपये का कर्ज़ लिया है। जबकि प्रोडक्शन सीजन-2031 में 1831 किसानों ने 6 करोड़ 73 की कमाई कीलाख रूपए का कर्ज लिया था। समय सीमा तक यहां के 1937 में किसानों ने कृषि कार्य के लिए कर्ज़ लिया। समर्थन मूल्य में धान लेकिन के दौरान चाट के माध्यम से कहा से 1922 किसानों ने कर्ज भी जमा करा दिया, अभी 16 किसानों से शासन को 5 लाख 83 हजार रूपए का कर्ज वसूलना है।
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जिन किसानों ने पूर्व में लिए गए कर्ज का भुगतान नहीं किया है, उन्हें योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है। याने की जब तक वे कर्ज का भुगतान नहीं करेंगे। उन्हें कृषि कार्य के लिए खाद, बीज समेत राशि नहीं दी जाएगी। इधर कर्ज लेने के मामले में फरसियां के
किसान सबसे पीछे हैं। यहां 181 किसानों ने कृषि कार्य के लिए 35 लाख 15 हजार का कर्ज लिया है। 30 सितंबर से 300 करोड़ कर्ज़ का लक्ष्य रखा गया है।
नोडल अधिकारी सहकारिता विभाग बलरामपुरी गोस्वामी ने कहा की किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस साल भी उन्हें सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। जिन किसानों ने ऋण जमा नहीं कराया है उन्हें ऋण वितरण नहीं किया जाएगा।
364 ने 1.6 करोड़ का नहीं किया भुगतान
खरीफ सीजन-2013 में पंजीकृत किसानों को 300 करोड़ का कर्ज बांटने का लक्ष्य रखा गया था। इसके एवज में 64 हजार 817 किसानों ने 265 करोड़ अट्ठारह लाख का कर्ज लिया। याने के लक्ष्य की पोजिशन नहीं हो पाई। समर्थन मूल्य में धान का अनुपात 64453 किसानों ने 244 करोड़ 11 लाख डॉलर का कर्ज़ चुकाया जा सकता है। जबकि 364
किसानों पर अभी भी 1 करोड़ 6 लाख रूपए कर्ज बकाया है। बकाया राशि जमा नहीं कराने के चलते इन किसानों को योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
साहूकारों से ब्याज में ले रहे कर्ज
सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों को ही नगद समेत सामाग्री के रूप में खाद का वितरण किया जा रहा है, लेकिन सैकड़ों ऐसे किसान है, जिन्होंने खाता अलग नहीं होने के चलते अब तक पंजीयन नहीं कराया है या दस्तावेज की कमी के चलते उनका पंजीयन रद्द हो चुका है। ऐसे
किसान साहूकारों से ब्याज में कर्ज लेकर कृषि कार्य कर रहे हैं।