राजस्थान में मानसून मेहरबान! एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध 30 साल में पहली बार जुलाई में छलकने को आतुर
Morel Dam: दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के हजारों किसानों के लिए लाइफलाइन समझे जाने वाला एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध बीते तीन दशक में पहली बार जुलाई माह में ओवरफ्लो होने के बेहद करीब पहुंच गया है।
Morel Dam: दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के हजारों किसानों के लिए लाइफलाइन समझे जाने वाला एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध बीते तीन दशक यानी तीस सालों में पहली बार जुलाई माह में ओवरफ्लो होने के बेहद करीब पहुंच गया है। बीते तीन दशक मेें यह बांध अगस्त माह में ही पूरा भरा है। इस वर्ष यदि आगामी दिनों में ही इस बांध पर चादर चली तो वर्ष 1995 के बाद पहली बार इस वर्ष यह बांध जुलाई माह में ही पूरा भरकर ओवरफ्लो हो जाएगा।
30 फीट 5 इंच भराव क्षमता वाले मोरेल बांध का जलस्तर मंगलवार सुबह 28 फीट 1 इंच तक पहुंच गया है, इसके चलते बांध लगभग 94 प्रतिशत भर गया एवं अपनी पूर्ण भराव क्षमता से मात्र ढाई फीट दूर ही रह गया है। मंगलवार तक बीते पखवाड़े़ में इस बांध का जल स्तर 4 फीट बढा है।
मानसून की शुरुआत से पहले 24 फीट था बांध का जलस्तर
जानकारी के अनुसार गत वर्ष हुई जोरदार बारिश के चलते बांध इस बार मानसून की शुरुआत से पूर्व बांध का जलस्तर 24 फीट पर था। बीते दिनों बांध के केचमेंट एरिया में हुई जोरदार बारिश के बाद बांध का जल स्तर 25 फीट से बढकर अब 29 फीट तक पहुंच गया है।
इसलिए जगी आस
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भी पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश की चेेतावनी दी है। इस चेतावनी के अनुरूप बांध के केचमेंट एरिया जयपुर जिलेे के चाकसू, कोटखावदा एवं दौसा जिले के रामगढ पचवारा, नांगल राजावतान एवं आसपास के क्षेत्रों में एक-दो जोरदार बारिश हो जाती है, आगामी दिनों में ही यह बांध पूरा भर जाएगा एवं ओवर फ्लो होकर चादर चलने लगेगी। इसके अलावा एक और यह बात यह भी है कि मानसून की मेहरबानी के चलते मोरेल बांध के ओवरफ्लो होने की यह चैन दो – तीन साल तक बनी रहेगी। इस बार भी ओवरफ्लो होने व बांध की नहरों में पानी छोड़े जाने के बाद भी लगभग 20 से 22 फीट तक पानी बांध में मौजूद रहेगा, जिससे आगामी वर्ष भी यही हाल बने रहने का अनुमान है।
इतना पानी बह गया कि दो बार और पूरा भर जाता मोरेल बांध
गत वर्ष जोरदार बारिश के चलते बांध पर करीब पौने माह माह से अधिक समय तक चली चादर में इतना पानी व्यर्थ बह गया कि उस पानी से दो बार और यह बांध पूरा बांध भर जाता। मोरेल बांध 14 अगस्त को ओवरफ्लो हुआ था, जिसके बाद 15 अक्टूबर तक बांध पर चादर चली थी। गत वर्ष जोरदार बारिश के चलते बांध में नियमित पानी की आवक होने के कारण नहरों में पानी छोडऩे के 10 दिन बाद तक भी चादर चली थी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांध की कुल भराव क्षमता 2707 एमसीएफटी है, लेकिन 87 दिनों तक चली चादर में 7000 एमसीएफटी पानी तो व्यर्थ ही बह कर मोरेल नदी से हो चंबल नदी में पहुंच गया। गौरतलब है कि यह मोरेल बांध सवाईमाधोपुर व दौसा जिले के लोगों के लिए लाइफलाइन बना हुआ है। इससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मिल जाता है।
लगातार निगाह बनाए रखे हैं अधिकारी
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार केचमेंट एरिया की एक जोरदार बारिश ही मोरेल बांध को पूरा भर देगी, जो कि जुलाई माह में ओवरफ्लो होने का बीते 30 सालों का पहला मौका होगा। उन्होंने बताया कि दो कार्मिकों को बांध पर चौबीस घंटे नियुक्त किया है। इसके अलावा 20 ट्रॉली मिट्टी का स्टॉक किया है, आगामी दिनों में टेंडर होने के बाद मिट्टे के एक हजार कट्टों का स्टॉक व जेसीबी की भी व्यवस्था की जा रही है। अधिकारी भी लगातार बांध का सुपवविजन कर रहे हैं।
Hindi News / Dausa / राजस्थान में मानसून मेहरबान! एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध 30 साल में पहली बार जुलाई में छलकने को आतुर