वायरल वीडियो से भड़का विवाद
आयुक्त द्वारा जारी आदेश के अनुसार, डॉ. मंडेलिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वे सार्वजनिक मंच से जातिगत व्यवस्था पर विवादास्पद टिप्पणी करते नजर आए। कलेक्टर दतिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम से जांच कराई। जांच में पुष्टि हुई कि एक सरकारी अधिकारी द्वारा इस तरह के बयान देना उनके पदीय कर्तव्यों के विपरीत है और यह कदाचरण की श्रेणी में आता है।
जांच में दोषी पाए गए मंडेलिया
जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि 14 अप्रैल को ग्वालियर-झांसी हाईवे के निकट अंबेडकर पार्क में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डॉ. मंडेलिया ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनके इस कृत्य से समाज में आक्रोश फैल गया और भविष्य में सामाजिक अशांति की आशंका जताई गई। आयुक्त ने आदेश में कहा कि डॉ. मंडेलिया का व्यवहार मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 और मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 का उल्लंघन है। यह भी पढ़े –
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निलंबन आदेश के साथ डॉ. मंडेलिया का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय दतिया निर्धारित किया गया है। निलंबन अवधि में वे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करेंगे।, डॉ. बी.के. वर्मा, जो जिला चिकित्सालय दतिया में हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं, को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह आदेश तत्काल प्रभावी रहेगा।
ब्राह्मण समाज ने सौंपा ज्ञापन, एफआईआर की मांग
इधर, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय और कोतवाली टीआई को ज्ञापन सौंपकर डॉ. मंडेलिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। समाज के पदाधिकारियों ने वायरल वीडियो का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि डॉ. मंडेलिया ने ब्राह्मण समाज के कर्मचारियों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार किया और जातिगत अपमानजनक टिप्पणी की। समाज के लोगों ने कहा कि अस्पताल में भर्तियों में भी उन्होंने भेदभाव किया और कर्मचारियों से अमानवीय व्यवहार किया।