जडेजा ने ही जगाई उम्मीद
मैच की शुरुआत में भारत ने चौथे दिन 58/4 से पारी शुरू की थी। जडेजा और केएल राहुल (39) ने कुछ उम्मीद जगाई, लेकिन जोफ्रा आर्चर (4/38) ने राहुल और ऋषभ पंत (4) को जल्दी आउट कर भारत को 112/8 पर ला दिया। इसके बाद जडेजा ने मोहम्मद सिराज (2) के साथ 59 गेंदों तक पारी को संभाला। जडेजा ने 153 गेंदों में 56 रन बनाए, जिसमें केवल दो चौके थे। फैंस को उम्मीद थी कि जडेजा अपनी आक्रामक शैली दिखाएंगे, जैसे उन्होंने 2018 में ओवल में 86* रन बनाकर किया था, लेकिन इस बार वे रक्षात्मक रुख अपनाते दिखे। आखिरी क्षणों में भारत को 30 रन चाहिए थे और जडेजा पर दबाव था। ब्रायडन कार्स की एक शॉर्ट गेंद पर जडेजा ने बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए विकेटकीपर जेमी स्मिथ के दस्तानों में चली गई। स्टेडियम में सन्नाटा छा गया, और इंग्लैंड ने जीत का जश्न मनाया। कमेंटेटर हर्षा भोगले ने कहा, “जडेजा ने धैर्य दिखाया, लेकिन इस पिच पर आक्रामकता की जरूरत थी। यह मौका था लॉर्ड्स में इतिहास रचने का, जो चूक गया।”
फैंस सोशल मीडिया पर निराशा जता रहे हैं। एक फैन ने लिखा, “जडेजा अगर दो-तीन छक्के मारते, तो भारत जीत जाता। हीरो बनने का मौका था, लेकिन वे डिफेंसिव हो गए।” दूसरी ओर, कुछ ने जडेजा का बचाव करते हुए कहा कि ऊपरी क्रम की नाकामी ने भारत को बैकफुट पर ला दिया था। भारत की जीत की भविष्यवाणी करने वाले पूर्व क्रिकेटर वरुण आरोन ने कहा, “जडेजा ने अकेले लड़ाई की, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए पूरी टीम का योगदान चाहिए।”
सही समय पर आक्रमकता जरूरी
लॉर्ड्स में भारत की यह 16वीं हार है। टीम इंडिया यहां 19 टेस्ट में सिर्फ तीन मैच जीत पाई है। अब सीरीज का चौथा मुकाबला मैनचेस्टर में 20 जुलाई से खेला जाएगा, जहां भारत वापसी के इरादे से मैदान पर उतरेगा। जडेजा के लिए यह हार एक सबक हो सकती है कि टेस्ट क्रिकेट में धैर्य के साथ-साथ सही समय पर आक्रामकता भी जरूरी है।