केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात और लिखे पत्र में सांसद कस्वां ने कहा कि बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, फलौदी, जोधपुर सहित उत्तर-पश्चिमी राजस्थान खेजड़ी सहित रेगिस्तानी दुर्लभ प्रजातियों के वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा वर्तमान में इन जिलों में नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिए सोलर प्लांट बड़े स्तर पर लगाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी आड़ में पर्यावरण का भारी विनाश किया जा रहा है। यद्यपि सौर ऊर्जा देश के भविष्य के लिए आवश्यक है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन जब सोलर कंपनियों की ओर से प्लांट स्थापित करने के लिए हजारों बीघा में खेजड़ी जैसे पवित्र वृक्षों, घास के मैदानों और वन्यजीवों को नष्ट किया जाता है तो यह प्रगति नहीं, बल्कि परिस्थिति की हत्या है।
कोई पारदर्शी नीति या मुआवजा प्रणाली नहीं
कस्वां ने खेजड़ी जैसे पूज्य वृक्ष मरुस्थलीय पारिस्थितिकी का स्तंभ हैं, जो मिट्टी में नमी, पशुधन के चारे की व्यवस्था व ग्रामीण संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। खासकर विश्नोई समाज में तो यह वृक्ष अत्यंत ही पूजनीय है, जहां इसकी रक्षार्थ मां अमृता देवी सहित सैकड़ों लोगों ने स्वयं को न्यौछावर कर दिया था। आज उन्हीं क्षेत्रों में सोलर प्लांट के नाम पर अंधाधुंध रूप से हजारों पेड़ों की कटाई की जा रही है और सरकार की और से कोई पारदर्शी नीति या मुआवजा प्रणाली भी नहीं है। सांसद ने कहा कि लाखों की संया में वृक्ष कटने से गंभीर पारिस्थितिकी संकट उत्पन्न हो गया है और तापमान में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। साथ ही पानी का संकट बढ़ना, फसलों का उत्पादन घटना, स्थानीय लोगों का रोजगार छिनना एवं जीव-जन्तुओं कम होना जैसे गंभीर दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं, जो अत्यंत ही चिंतनीय है। पर्यावरण की दृष्टिकोण से यह गंभीर मुद्दा है और राजस्थान में सोलर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण से पूर्व पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन ईआईए अनिवार्य किया जाए।
विकास से पहले पर्यावरण की चिंता करें
उन्होंने कहा खेजड़ी सहित अन्य वृक्षों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए। विश्नोई समाज सहित अन्य सभी स्थानीय समुदायों की सहमति के बगैर कोई जमीन अधिग्रहित न की जाए। इसके अलावा अब तक काटे गए वृक्षों की कानूनी अनुमति, मुआवजा एवं पुन:रोपण की निगरानी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। सांसद ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा हमारा धर्म है, विकास के नाम पर हो रहे विनाश पर आंखें नहीं मूंद सकते हैं। सौर ऊर्जा की रौशनी के नाम पर हम अपने पर्यावरण को क्षति पहुंचाएंगे तो यह प्रगति नहीं बल्कि विनाश होगा। सरकारों की यह जिमेदारी बनती है कि वह पर्यावरण की चिंता पहले करे।