तीन पेड़ एक साथ, एक में नाम निवास
मंदिर परिषद में नीम, बरगद और पीपल का पेड़ उगा हुआ है। मंदिर निर्माण के दौरान इसमें से एक भी पेड़ का काटा नहीं गया। तीनों पेड़ अभी भी हरे-भरे हैं। पीपल का पेड़ तो काफी विशाल है। पेड़ में एक स्थान खोखला भी है। इस पर नाग निवास लिखा हुआ है। पुजारी ने बताया कि जब यहां पर पक्की फर्श नहीं थी, तब इसमें नाग निवास करते थे। पक्की फर्श बनने के बाद नाग यहां से चले गए। पीपल का पेड़ काफी विशाल और बहुत चौड़ा है।
मंदिर परिसर में नाग-नागिन का जोड़ा
गंभीरी नदी के तट पर खरड़ेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है। प्रत्यदर्शियों ने बताया कि मंदिर परिसर में नाग-नागिन का जोड़ा रहता है। वह सावन माह में सर्वाधिक दिखाई देते है। करीब 8-10 फीट उनकी लम्बाई है, लेकिन मंदिर में आजतक किसी को परेशान नहीं किया। मंदिर में सच्चे दिल से मन्नत मांगने पर वह पूरी होती है।
घर में बने व्यंजनों से छप्पन भोग आज
खरड़ेश्वर महादेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को 56 भोग धराया जाएगा और भजन संध्या होगी। भोलेनाथ का कृष्ण स्वरूप में शृंगार धराया जाएगा। खरड़ेश्वर महादेव सेवा पूजा संस्थान की ओर से 56 भोग के लिए मंदिर में पर्ची रखी है, जो श्रद्धालु पर्ची निकालते हैं और उसमें व्यंजन लिखा होता है, वही व्यंजन घर से बनाकर भोग धराते हैं। इसमें 100 से अधिक मिठाई, चावल, पकौड़ी, मालपुए, खीर, हलवा, नमकीन, साबूदाने की खिचड़ी, माखन, पंजीरी सहित विविध व्यंजन शामिल।