आवेदन आते तो 110 पंचायतों में दौड़ती बसें
यदि सरकार की मंशानुसार सब सही होता तो डूंगला पंचायत समिति के कानोड़-चित्तौड़ मार्ग पर दस पंचायतें, डूंगला-आवरीमाता-चित्तौड़ मार्ग पर 11 पंचायतें, भदेसर पंचायत समिति के चित्तौड़-मंगलवाड़ मार्ग पर 9 पंचायतें, बड़ीसादड़ी के चित्तौड़-केवलपुरा मार्ग पर 12 पंचायतें, राशमी के चित्तौड़-मातृकुंडिया मार्ग पर आठ, चित्तौड़-गंगापुर मार्ग पर 11 ,निम्बाहेड़ा के चित्तौड़-कोटड़ी कलां मार्ग पर नौ, बेगूं के चित्तौड-कनेरा वाया अभयपुर के 11, चित्तौड़-गंगरार-भीलवाड़ा मार्ग पर दस, कपासन के कपासन-चित्तौड़ मार्ग पर छह, भूपालसागर के चित्तौड़-भूपालसागर मार्ग पर 13 पंचायतें बस सेवा से जुड़ जाती।
● वाहन संचालन निगम बस स्टैण्ड से वाहन संचालन अनुमत होगा।
● यात्रियों से वसूल किए जाने वाला किराया डेढ़ रुपए प्रति किलोमीटर प्रति सीट निर्धारित है।
● वाहन संचालन से संबंधित खर्च वाहन मालिक को उठाने थे।
● वाहन स्वामी की ओर से निगम को न्यूनतम 0.23 रुपए प्रति सीट प्रति किलोमीटर देना था।
● यात्रियों को निगम की ओर से दी जा रही सभी प्रकार की नि:शुल्क एवं रियासती यात्रा टिकटों की वास्तविक राशि या 90 प्रतिशत यात्रीभार पर होने वाले राजस्व का 15 फीसदी जो भी कम हो।
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योजना का मकसद और जमीनी हकीकत
राजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की समस्या को हल करने के लिए निजी बस ऑपरेटरों को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के साथ जोड़ने की योजना शुरू की थी। इसके तहत निजी बसें रोडवेज के बैनर तले ग्रामीण रूटों पर चलाई जानी थी। ताकि, दूर-दराज के गांवों तक किफायती और नियमित बस सेवा पहुंच सके। लेकिन, कई जिलों में एक भी आवेदन नहीं आने से यह योजना ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है।चोरी की बिजली से रिसॉर्ट रोशन, आरओ प्लांट में फिल्टर हो रहा पानी, जानें, बिजली चोरों पर डिस्कॉम का क्या है प्लान
पहले भी हुई थी घोषणाएं, फिर हो गई गोल
जानकारी के अनुसार वर्ष 2011-12 में बजट घोषणा में ग्रामीण परिवहन बस की घोषणा की थी। जिसके बाद दिसंबर 2012 में कुछ जिलों में बस सेवा शुरू भी हुई थी। लेकिन, कुछ ही माह बाद यह योजना ठप हो गई। इसके बाद फिर वर्तमान सरकार ने ग्रामीण क्षेेत्र के लोगों को बस सेवा से जोड़ने की घोषणा की। लेकिन इस बार भी यह योजना कागजों में ही रहती दिख रही है।