इस समय नगर निगम से लेकर पंचायत तथा खाद्य आपूर्ति विभाग में गरीबी रेखा का आवेदन लेकर लोग पात्रता पर्ची हासिल करने की कतार में हैं। सरकार ने अपात्रों के चक्कर में पांच माह से पात्रता पर्ची जारी करना बंद कर दी है। इस समय छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले में 12 हजार से ज्यादा आवेदन लम्बित हैं। जब तक सर्वेक्षण में अपात्रों के नाम नहीं हटाए जाएंगे, तब तक पात्र हितग्राहियों के नाम नहीं जुड़ेंगे।
केंद्र सरकार ने कर दिया मना
खाद्य आपूर्ति विभाग के मुताबिक दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से मप्र में राशन का कोटा बढ़ाए जाने से मना कर दिया गया है। साथ ही राशन दुकानों से अपात्रों के नाम हटाने ई-केवायसी योजना लागू कर दी है। अब तक छिंदवाड़ा जिले में 13,62,551 परिवारों में से 11,72,526 की ई-केवायसी हो गई है। शेष परिवार राशन दुकानों में सामने नहीं आ रहे हैं। इसकी अवधि सरकार की ओर से 30 अप्रेल तय की गई है। अधिकारियों के मुताबिक ऐसे परिवारों के नाम अपात्र समझकर हटा दिए जाएंगे।
प्रशासन ने राशन दुकानों से हटाए अपात्रों के नाम
प्रशासन ने अपने स्तर पर राशन हितग्राहियों की आय देखकर 8646 अपात्र लोगों के नाम हटा दिए हैं। आगे और भी नाम हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इससे पहले छिंदवाड़ा और पांढ़ुर्ना जिले की करीब 850 राशन दुकानों में प्राथमिक श्रेणी के लाखों लोग रियायती अनाज पा रहे थे। उन्हें इस समय तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल प्रति सदस्य के हिसाब से वितरण हो रहा है। राज्य शासन ने अपात्रों का नाम हटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये भी पढ़ें:
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राशन दुकानों में ऐसे रसूखदार और प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम मिल जाएंगे, जिनके पास बिल्डिंग, चौपहिया और पर्याप्त बैंक बैलेंस है। फिर भी ये लोग गरीब परिवार बनकर सरकारी राशन का उपयोग कर रहे हैं। पिछली बार जांच कराई गई थी, तो लाखों लोगों के नाम सामने आए थे। उनके नाम भी काटे नहीं गए थे। इससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों को परेशानी आ रही है।
ई-केवायसी होने से राशन दुकानों में वास्तविक हितग्राहियों की संख्या सामने आएगी। प्रशासन की ओर से अब तक 8646 अपात्र नाम हटाए गए हैं। भविष्य में ये प्रक्रिया जारी रहेगी। – गंगा कुमरे,जिला आपूर्ति अधिकारी