चार धामों के प्रतीक चार द्वार
इस मंदिर के चारों दिशाओं में बारह ज्योतिर्लिंगों के बारह द्वार तथा चार धामों चार द्वार प्रतीकात्मक रूप से बने हैं। बताया जाता है कि पूरे मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय यंत्र पर आधारित बना होने के कारण ही यहां सूर्य भगवान अपनी किरणों से अभिषेक करते हैं। यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य सहित कई ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी है।
सूर्य की किरणों से होता है अभिषेक
सर्प जैसी आकार में बहने वाली सर्पिणी नदी के तट पर स्थित इस स्वयंभू अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग की अनेक मान्यताएं शिव भक्तों में प्रचलित हैं। जनश्रुति है कि विवाह योग्य कन्याएं यहां सावन सोमवार को आकर ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाएं तो उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। इस अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक साल में दो बार स्वयं सूर्य भगवान अपनी किरणों से करते हैं।