सुविधाओं के बदले लिया जाता है कर
नगरीय क्षेत्र में मिलने वाली कुछ व्यवस्थाओं के बदले टैक्स लिया जाता है। मसलन नगरीय क्षेत्र में सुव्यवस्थित सडक़, नाली, स्ट्रीट लाइट, नलजल कनेक्शन लेने पर नियमित पेयजल, शहर की सफाई, कचरा प्रबंधन की व्यवस्था, आवारा मवेशियों से निजात, मृत मवेशियों का प्रबंधन, अतिक्रमण का निपटान, सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था, सार्वजनिक अलाव व्यवस्था सहित कई व्यवस्थाओं के लिए टैक्स निर्धारण है। हालांकि उक्त किसी भी व्यवस्था में कमी होने पर टैक्स में कोई कमी नहीं की जाती है। वह अनिवार्य रूप से लिया जाता है।नहीं तो जुड़ जाता ढाई हजार सालाना का अतिरिक्त खर्च
शहर में लगभग 23 हजार घरों के सीवर लाइन से कनेक्शन हो चुके हैं। आने वाले 10 साल में 40 हजार कनेक्शन का लक्ष्य है। संचारण संधारण सीवरेज कंपनी को ही करना है, जिसके लिए निगम कंपनी को 31 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी। इसके लिए भी सीवरेज परियोजना के प्रथम वर्ष में आवासीय 218 रुपए प्रतिमाह एवं 328 रुपए प्रतिमाह लिए जाने का प्रस्ताव एमआईसी से पास होकर परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। जिसे परिषद ने हरी झंडी नहीं दी। नहीं तो इस साल संपत्तिकर के साथ करीब ढाई हजार रुपए का खर्च आम शहरी के खाते में जुड़ जाता।इस साल बढ़ाया गया है अतिरिक्त कर
मकान का वार्षिक भाड़ा मूल्य टैक्स के स्लैब में 10 फीसद का इजाफा किया गया है। इसी के साथ संपत्तिकर, शिक्षा उपकर एवं नगर विकास उपकर में भी बढ़ोतरी हुई है। स्वच्छता उपकर 120 रुपए सालाना के स्थान पर 10 गुना अधिक 1200 रुपए सालाना कर दिया गया है। इसी तरह नलजल कर भी 175 रुपए की जगह 48 फीसद बढ़ाकर 260 रुपए मासिक कर दिया है। समस्त टैक्स एक अप्रेल 2025 से लागू भी हो चुके हैं, जिनकी समय सीमा वित्तीय वर्ष 31 मार्च तक रहती है।आम जनता पर बहुत अधिका प्रभार
आम जनता पर बहुत अधिक प्रभार बढ़ाया जा चुका है। संपत्तिकर 10 फीसद, नलजल कर में 48 प्रतिशत, कचरा कलेक्शन में 10 गुना अधिक कर बढ़ाया जा चुका है, जबकि शहरी क्षेत्र बनाने के बाद भी कई वार्डों में आज भी सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं।– धर्मेंद्र सोनू मागो, नगर निगम अध्यक्ष