जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत उन्होंने बीआईएसए जबलपुर के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उन्नत किस्म की मक्का की खेती शुरू की। हाल ही में बिसा जबलपुर एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ गांव के अन्य प्रगतिशील किसान खेत के निरीक्षण के लिए जब उनके खेत पहुंचे, तो हरियाली से लहलहाती फसल और खेतों की बेहतरीन देखभाल देखकर सब अत्यंत प्रभावित हुए।
अन्य किसानों को कर रहे प्रोस्ताहित
किसान अशोक फरकाड़े न केवल आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक सलाह को अपनाने में आगे हैं, बल्कि अपने अनुभवों को दूसरों के साथ साझा कर, आस-पास के किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। वे बताते हैं कि उन्नत तकनीक, समय पर सलाह और मेहनत से खेती को न सिर्फ आसान बनाया जा सकता है, बल्कि लाभदायक भी। उनका आत्मविश्वास, जज्बा और खेती के प्रति समर्पण यह साबित करता है कि सच्चा किसान उम्र से नहीं, अपने विचारों और कर्मों से बड़ा होता है। फरकाड़े जैसे किसान हमारे कृषि तंत्र की रीढ़ हैं, जो बदलते समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।