102 करोड़ की गेहूं खरीदी
हालत यह है कि 102 करोड़ रुपए का गेहूं खरीदे जाने के बावजूद अब तक सिर्फ 758 किसानों को लगभग 8.35 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। शेष 4,268 किसानों का 94 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान लंबित है। खुले आसमान के नीचे करीब 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं पड़ा हुआ है, और मौसम विभाग ने आगामी दिनों में तेज आंधी और हल्की बारिश की चेतावनी दी है, जिससे फसल को नुकसान पहुंचने का खतरा और बढ़ गया है।
लिमिट न मिलने से सहकारी समितियां लाचार
जिले में 80 सेवा सहकारी समितियों द्वारा गेहूं की खरीदी की जा रही है, परंतु जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा इस वर्ष लिमिट जारी न किए जाने से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। किसान खरीदी केंद्रों पर टेंट, पानी, बैठने की व्यवस्था और तिरपाल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बैंक का कहना है कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) ने पिछले वर्ष का 2.80 करोड़ रुपए बकाया नहीं चुकाया है, जिसके चलते लिमिट जारी नहीं हो सकी।
बारदाना की किल्लत
उधर, नान जिला प्रबंधक राजेश साकल्ले ने कहा कि सहकारी बैंक को 3.5 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है और बैंक को लिमिट जारी करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी बताया कि समितियों के पास नान का 8 लाख का बारदाना बकाया है, जिसे लौटाया नहीं गया, इस कारण वारदाने की भी किल्लत पैदा हो रही है।
भंडारण और परिवहन भी बना संकट
अब तक 39252 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है, परंतु इसमें से केवल 24717 टन का ही परिवहन वेयरहाउस तक किया गया है। शेष 14535 टन गेहूं खुले में पड़ा है। अगर जल्द ही परिवहन नहीं हुआ तो बारिश में गेहूं भीगने से भारी नुकसान संभव है, जिससे किसानों के भुगतान में और भी बाधाएं आ सकती हैं।
बारदाने का संकट, किसानों से हो रही अतिरिक्त वसूली
छतरपुर जिले में खरीदी केंद्रों पर बारदाने की भारी कमी है। हरपालपुर में आए 3500 गठान वारदाने को सागर और दमोह भेज दिया गया, जबकि छतरपुर में इसकी आवश्यकता थी। साथ ही कुछ केंद्रों पर किसानों से एक बोरी पर अतिरिक्त 500 ग्राम से लेकर एक किलोग्राम गेहूं लेने की शिकायतें भी सामने आई हैं, विशेष रूप से लवकुशनगर अनुभाग में। इन शिकायतों पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। खराब व्यवस्था, भुगतान में देरी और सुविधाओं के अभाव ने किसानों में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। खरीदी केंद्रों पर किसानों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। कई किसान अब निजी व्यापारियों को गेहूं बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
ये कह रहे जिम्मेदार
जिला सहकारी बैंक के प्रशासक करुणेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, हमारी समितियों का 2.80 करोड़ रुपए नान से बकाया है, इसलिए लिमिट जारी नहीं हो सकी। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि किसानों को दिक्कत न हो। नान के जिला प्रबंधक राजेश साकल्ले ने जवाब देते हुए कहा, हमने सहकारी बैंक को भुगतान कर दिया है। उनका आरोप निराधार है। साथ ही समितियों के पास हमारा बारदाना भी पड़ा है।