जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक रुका महंगाई भत्ता
कांग्रेस सांसद आनंद भदौरिया ने पूछा था कि जनवरी 2020 से लेकर जुलाई 2021 तक की 3 किस्तें (01 जनवरी 2020, 01 जुलाई 2020 और 01 जनवरी 2021) क्यों रोकी गईं? और क्या सरकार की वित्तीय स्थिति अब भी इतनी खराब है कि बकाया नहीं दिया जा सकता? इस पर मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियों पर भारी असर पड़ा था, जिससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ा। ऐसे में खर्च को नियंत्रित करने के लिए यह फैसला लिया गया था।
महामारी के नुकसान की भरपाई के लिए रोका महंगाई भत्ता
मंत्री के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार का राजकोषीय घाटा 9.2% तक पहुंच गया था, लेकिन बजट अनुमान 2025-26 में यह घटकर 4.4% पर आ गया है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि महामारी के कारण हुए वित्तीय नुकसान और सरकार द्वारा उठाए गए कल्याणकारी खर्चों का असर 1 साल से ज्यादा समय तक रहा। इसी वजह से 18 महीने के बकाए को जारी करना अब भी व्यावहारिक नहीं माना गया है।
केंद्रीय कर्मचारियों में नाराजगी
देशभर में करीब 47 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 68 लाख पेंशनभोगी इस एरियर का इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने 2021 के बाद से DA/DR की नियमित किस्तें तो बहाल कर दीं, लेकिन कोरोना काल की 3 किस्तें अब तक नहीं दी गईं। संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आरके वर्मा ने कहा कि इन किस्तों का एरियर मिलने पर कर्मचारियों को एकमुश्त बड़ी रकम मिल सकती है, लेकिन सरकार इसे मंजूरी नहीं दे रही है।
सरकार का रुख साफ
वित्त मंत्रालय का रुख साफ है कि कोरोना काल के वित्तीय असर और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने की जरूरत के कारण यह फैसला लिया गया था। भले ही घाटा अब कम हो गया है, लेकिन महामारी के समय हुए खर्च का दबाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। मंत्री ने यह नहीं बताया कि भविष्य में यह एरियर कब जारी होगा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अगर सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करती रही तो वे विरोध का रास्ता अपना सकते हैं।