1.90 लाख हेक्टयर जंगल
जी हां, हम बात कर रहे हैं उन 300 जवानों की जो जिले के 1.90 लाख हेक्टयर जंगल को बचाने के लिए ढाल बने हुए हैं। वनमंडलाधिकारी अजय सागर ने बताया कि जिले का एक बड़ा हिस्सा वनक्षेत्र से आच्छादित है। यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ों के साथ वन्य प्राणी भी है। इनकी रक्षा की जिमेदारी रेंजरों के पास है। बुराहनपुर में 8 रेंज है। इसमें करीब एक लाख 90 हजार हेक्टेयर जंगल है। इनकी सुरक्षा वन विभाग के 300 जवानों की टीम दिन रात करती है। यह ना केवल पेड़ों को बचाते हैं बल्कि जीवों की रक्षा भी करते है। वर्तमान में जिले में 8 रेंजर, 40 वन पाल, 250 से अधिक वन आरक्षकों के साथ चौकीदार कार्यरत है। हालांकि वनों की रक्षा में जुटे इन जांबाजों के चुनौतियां है बावजूद इसके आधुनिक बीट सिस्टम और संसधानों के बल पर इन्हें पार पाने में जुटे हुए है।
24 घंटे अलर्ट, सैटेलाइट की मदद
वन क्षेत्रों में लगातार घुसपैठ, अतिक्रमण, कटाई और वन्य प्राणियों का शिकार वन अमले के लिए एक बड़ी चुनौती है। कुछ क्षेत्र संवेदनशील भी है। जहां जाना मौत को दावत देना है। बावजूद इसके वन्यकर्मी 24 घंटे अलर्ट रहते हैं। नाइट, कॉबिंग गश्त कर वनों को बचा रहे हैं। साथ ही आधुनिक बीट सिस्टम से जंगलों पर निगरानी सत कर ली है। विभाग सैटेलाइट इमेज के साथ वन प्राणियों का मूवमेंट देखने के लिए कैमरों का सहारा भी ले रहा है।इसलिए मनाया जाता है रेंजर दिवस
विश्व रेंजर दिवस हर साल 31 जुलाई को मनाया जाता है। इसका मुय उद्देश्य जंगल बचाने और इसके रखरखाव में अहम योगदान देने वाले रेंजर्स के कार्य का समान करना है । जो अपनी जान दांव पर लगाकर खतरों के बीच जंगलों को बचाने का काम करते हैं। इस दिवस पर उन्हें भी याद किया जाता है जो जंगलों में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए।
यह मिल रही है चुनौती
- जंगलों में अतिक्रमण
- अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई
- वन्य प्राणियों का शिकार
- जंगल में अवैध गतिविधियां
- वन्य क्षेत्रों में फसल उगाना