पोद्दार ने बताया कि नाबालिग दिल्ली व मुंबई घूमने के बाद वापस लौटते समय गलती से बूंदी आ गई थी। उसने रेलवे स्टेशन पर रात बिताई और फिर अस्पताल परिसर में पहुंच गई। अगले दिन नाबालिग कालिका यूनिट टीम को आजाद पार्क में बैठी हुई मिली। पुलिस उसे बाल कल्याण समिति के पास ले गई।
पहले तो उसने कुछ नहीं बोला, लेकिन बात में उसने सारा घटनाक्रम बताया। इसके बाद समिति के सदस्य नाबालिग को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा के पास पहुंचे। उन्होंने इस सम्बन्ध में महिला थाने में प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए। यहां जीरो नम्बर की एफआईआर काटने के बाद उसे चित्तौडग़ढ़ पुलिस को भेज दिया। हालांकि नाबालिग डरी-सहमी हुई है। वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती।
माता-पिता का रवैया देख अधिकारी भी चौके
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने बताया कि जब इस मामले में नाबालिग के माता-पिता से सम्पर्क किया तो उनका रवैया उदासीन रहा। मात-पिता का कहना था कि अक्सर बालिका घर से चली जाती है। नाबालिग ने बताया कि उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली है और वह अपने अन्य भाई-बहनों के साथ सौतेले पिता के घर आ गई। सौतेले पिता उसे बुरी नजर से देखता था। उसने आरोप लगाया कि एक दिन सौतेले पिता व उसके दोस्त ने उसके साथ बलात्कार किया। हद तो तब हो गई, जब उसने मां को यह बात बताई तो उसने उल्टा उसे ही चुप रहने को कह दिया। चार अन्य ने भी किया दुष्कर्म
नाबालिग ने बताया कि उसके सौतेले पिता और दोस्त के अलावा तीन-चार अन्य लड़कों ने भी उसके साथ अलग-अलग जगहों पर बारी-बारी से बलात्कार किया। इनमें दो बिहार, एक बाड़मेर और तीन चितौडग़ढ़ के रहने वाले युवक शामिल है।
मुम्बई चली गई
पुलिस के अनुसार नाबालिग के एक लड़के साथ फेसबुक पर दोस्ती थी। उससे मिलने वह मुम्बई चली गई। वहां से वह बूंदी आ गई। यहां एक पार्क में वह शुक्रवार को बैठी मिली तो पुलिस उसे ले आई। नाबालिग होने के कारण उसे बाल कल्याण समिति के यहां पेश किया गया।