‘शोले’ के हर कलाकार ने बनाई अपनी पहचान लेकिन…
मनसा राम- इन्होंने आवारा ‘श्री 420’ से ‘प्रेम रोग’ में छोटे छोटे रोल निभाए। बीरबल-हरिराम नाई इनकी हजामत करता है, मगर वीरू जय की बात सुनकर इनकी आधी मूंछ काटकर भाग जाता है। मोहन जेरी- सुरमा भोपाली से लकड़ी लेने आते हैं। हरबंस दर्शन, ये भी लगभग हर फिल्म में होते है यहां भी ग्रामीण का रोल निभाया। जूलीयन, इनसे गब्बर पूछता है… कितनी गोली है? मकसूद इंस्पेक्टर- जो जय और वीरू को पकड़ता है।
सुरेन्द्र राही, इन्होंने भी ग्रामीण की भूमिका निभाई। रॉबर्ट, होली के दिन मे डांस करते हैं। केदारनाथ सहगल, ये लगभग हर फिल्म में एक दो सीन में नजर आते थे। जब वीरू टंकी से बोलता है, गुड बाय तो ये पूछते हैं कि ये अंग्रेज लोग जाते कहा हैं।
मामाजी, ये भी हर दूसरी फिल्म में छोटे-छोटे रोल करते थे, टंकी वाले सीन में पूछते हैं ये सुसाड (सुसाइड) क्या होता है। पैदी जयराज, पुलिस कमिश्नर का रोल निभाया। मगर ये पृथ्वी राज कपूर, अशोक कुमार, मोतीलाल के जमाने के बड़े कलाकार थे। वर्ष 1930 से 1995 तक कई फिल्मों में काम किया। इन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी नवाजा गया। आप चेहरे जानते होंगे, पर नाम नहीं… हबीब, ये फिल्म हीरा के किरादार में गब्बर को हथियार, गोला बारूद सप्लाई करते हैं।
बता दें इनको कालिया के रोल का ऑफर दिया मगर धर्मात्मा में व्यस्त होने के कारण ये छोटा रोल करना पड़ा। ये एक्शन डायरेक्टर थे, इनका बेटा अब्बास हिंदी सिनेमा का बेहतरीन एक्शन डायरेक्टर बना। उन्होंने कई फिल्मों मे अभिनय भी किया। राजन कपूर, इनकी प्रमुख फिल्में है विकटोरिया न 203 और ट्यूबलाइट आदि। ये फिल्म में जेलर की भूमिका में थे। दीनानाथ, जेल में कैदी की भूमिका में थे। मौला- इन्होंने शोले के अलावा हत्या, लाबेला आदि फिल्मों में काम किया रुदाली में सेट डेकोरेटर का काम किया।
केदार ब्राउन- इसमें बच्चे का रोल था, मगर बड़े होकर इन्होंने हॉलीवुड की एनीमी जैसी फिल्में कीं। इसके अलावा दर्शन, डी ज्योथी, कृष्णा, बिन्नी, गिरिजा, सुरेन्द्र, राजेश जैसे कलाकारों ने भी छोटी भूमिकाएं निभाई हैं।
लेखक- इंजी. रवीन्द्र जोधावत