सिर्फ 1 बार देने का नियम, 10 बार दी राशि
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सीड मनी ग्रांट से संबंधित नियमों में स्पष्ट है कि किसी भी नए असिस्टेंट प्रोफेसर या व पीएचडी धारकों को विश्वविद्यालय पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार ही ग्रांट दे सकती है, लेकिन वेबसाइट पर मिले दस्तावेजों में कई लोगों को एक की बजाय किसी को पांच बार तो किसी को सात बार तक सीड मनी ग्रांट दी गई है। नॉन-टीचिंग कर्मियों को भी फायदा: इलेक्ट्रिकल इंजीनियर दिनेश साहू, ज्वाइंट रजिस्ट्रार सूरज मिश्रा, क्लर्क आर.पी. देवांगन, इंजीनियर लोक जायसवाल और हिंदी अधिकारी अखिलेश तिवारी, जो नॉन-टीचिंग स्टॉफ है। इन्हें भी लाखों रुपए की ग्रांट प्रदान की गई है।
गौरतलब है कि पूर्व कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने चार वर्षों में करीब 37 लाख रुपए सीड मनी ग्रांट पर खर्च किए थे। वहीं वर्तमान कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने महज एक वर्ष (2021-22) में ही 2.60 करोड़ रुपए की राशि बांट दी।
सीड मनी ग्रांट का यह है नियम
सीड मनी ग्रांट पॉलिसी के अनुसार इसे ज्यादातर नए असिस्टेंट प्रोफेसरों को शोध प्रकाशन/उद्योग अनुभव रखने वालों को दिया जाना है। यह अनुदान अनुसंधान को बढ़ावा देने, नवीन विचारों का परीक्षण करने, और बाहरी फंडिंग प्राप्त करने के लिए अहम वित्तीय सहायता है। इसके लिए प्रस्ताव को विभागाध्यक्ष और डीन की संस्तुति के साथ प्रस्तुत कर विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्यांकन किया जाना है। लेकिन सेंट्रल यूनिवर्सिटी में फंड बांटने कि लिए न तो पारदर्शिता बरती गई और न ही प्रक्रिया का पालन हुआ। कुछ मामलों में बिना बाह्य मूल्यांकन के लाखों की राशि जारी कर दी गई। कई प्रस्तावों में उद्देश्य, कार्यप्रणाली और बजट विवरण अधूरे थे, फिर भी स्वीकृति दे दी गई।
नियमों का किया गया पालन
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पूर्ण रूप से पारदर्शिता और नियमों को ध्यान में रखकर सीड मनी का वितरण किया गया है। किसी भी स्टाफ को एक लाख से अधिक रुपए सीड मनी के रूप में नहीं दी गई है, न ही एक से अधिक बार किसी को सीड मनी का भुगतान किया गया है। -प्रो. आलोक चक्रवाल, कुलपति, जीजीयू, बिलासपुर इतनी बार दी गई सीड मनी प्रो. वी.एस. राठौर- 10 बार प्रो. अखिलेश तिवारी – 7 बार प्रो. के.के. चंद्रा- 6 बार प्रो. सी.एस. वजलार – 5 बार
प्रो. एस.एस. ठाकुर-4 बार प्रो. भारती अहिरवार – 4 बार प्रो. पी. मिश्रा-4 बार प्रो. रेणु भट्ट -4 बार प्रो. एम.के. शाही- 4 बार प्रो. मनीष श्रीवास्तव – 3 बार
डॉ. रोहित सेठ – 3 बार प्रो. पी.आर. सिंह -3 प्रो. जी.के. पात्रा- 2 बार प्रो. अनुपमा सक्सेना -2 बार प्रो. पी.के. वाजपेयी- 2 बार