कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुनवाई तक संबंधित शिक्षकों पर दवाबपूर्ण कार्रवाई नहीं की जायेगी। हालांकि ये राहत सिर्फ उन शिक्षकों को मिलेगी, जिन्होंने ज्वाइन नहीं किया है, जो शिक्षक ज्वाइन कर चुके वे सिर्फ दावा आपत्ति कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने बुधवार को 70 से ज्यादा प्रकरणों पर सुनवाई की। युक्तियुक्तकरण से प्रभावित शिक्षकों ने अलग-अलग बिंदुओं पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
अधिवक्ताओं ने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए युक्तियुक्तकरण नियमों को मनमाना और गैर-कानूनी बताया। उन्होंने तर्क दिया कि विभाग की
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कई खामियां हैं। शिक्षकों को दावा-आपत्ति का अवसर नहीं दिया गया। रात में अतिशेष सूची जारी कर सुबह काउंसलिंग के लिए बुलाना, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि युक्तियुक्तकरण नीति कानूनसम्मत नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।
भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप
सुनवाई के दौरान यह भी बात सामने आई कि परिवीक्षा अवधि वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से मुक्त रखने का निर्णय भेदभावपूर्ण है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
याचिकाकर्ताओं को अतिशेष घोषित करने का निर्णय भी बिना सुनवाई के लिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस पर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से न्यायालय ने कई सवाल किए। उल्लेखनीय है कि युक्तियुक्तकरण का मामला जटिल होने के कारण प्रत्येक याचिकाकर्ता की परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग निर्णय होने की संभावना है।