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बिलासपुर

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली अवैध, राज्य सरकार को जारी किया ये आदेश, जानें पूरा मामला

Bilaspur High Court: सेवानिवृत्त होने के बाद शासकीय कर्मचारी से अधिक वेतन की वसूली किये जाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।

बिलासपुरApr 27, 2025 / 04:59 pm

Khyati Parihar

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली अवैध, राज्य सरकार को जारी किया ये आदेश, जानें पूरा मामला
Bilaspur High Court: सेवानिवृत्त होने के बाद शासकीय कर्मचारी से अधिक वेतन की वसूली किये जाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। याचिका स्वीकार कर कोर्ट ने ग्रेच्युटी राशि भी कानून के अनुसार जल्द से जल्द जारी करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता लक्ष्मण दास मानिकपुरी आईटीआई में तृतीय श्रेणी कर्मचारी था।29 फरवरी 2020 को सेवानिवृत्त होने के बाद 8 दिसंबर 2022 को विभाग ने आदेश देकर याचिकाकर्ता से 1 लाख 15 हजार 760 रुपये वसूलने का निर्देश दिया। विभाग ने कहा कि उसे अधिक वेतन का भुगतान कर दिया गया है। इसके खिलाफ एडवोकेट सृजन पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी कर्मचारी है और प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा की गई वसूली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के विपरीत है। राज्य की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कहा कि जब प्रतिवादी अधिकारियों के संज्ञान में अतिरिक्त भुगतान की बात आई, तो वसूली आदेश पारित किया गया, इसलिए आदेश में कोई अवैधता नहीं है। कोर्ट ने माना कि,इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी का पद धारण कर रहा था और प्रतिवादी प्राधिकारियों द्वारा बताई गई राशि की वसूली इस आधार पर की गई है कि, याचिकाकर्ता को गलत तरीके से अधिक भुगतान किया गया।
लेकिन तृतीय श्रेणी के कर्मचारी से अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर वसूली की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी वसूली आदेश निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता की ग्रेच्युटी राशि भी कानून के अनुसार जल्द से जल्द जारी करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है।
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साक्ष्य और संलिप्तता सजा देने के लिए पर्याप्त, भले ही शव बरामद न हुआ हो

हाईकोर्ट ने अपहरण और हत्या के मामले में आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि भले ही मृतक का शव बरामद नहीं हुआ हो, लेकिन साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला अभियुक्तों की संलिप्तता की पुष्टि करती है। यदि हर मामले में शव की बरामदगी पर जोर दिया जाएगा तो आरोपी हत्या के बाद शव को नष्ट करने का हर संभव प्रयास करेगा और सजा से बच सकता है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, दुर्ग द्वारा 24 फरवरी 2021 को दिए गए निर्णय को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध आरोपियों द्वारा दायर आपराधिक अपील को खारिज कर दिया।

फॉरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट और गवाही महत्वपूर्ण

फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने गवाही दी कि बरामद हड्डियां मानव की थीं और लगभग 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति की थीं, जो मृतक की उम्र के अनुकूल थीं। अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों की गवाही कराई, जिनमें जांच अधिकारी अमित कुमार बेरिया, फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. स्ग्धिंा जैन और अनुपमा मेश्राम शामिल थे।
अभियुक्तों के वकीलों ने तर्क दिया कि दोषसिद्धि प्रत्यक्ष साक्ष्य या चश्मदीद गवाहों के अभाव में टिकाऊ नहीं है, और मृतक की पहचान भी प्रमाणिक रूप से स्थापित नहीं हो सकी। उन्होंने यह भी कहा कि जब्ती की गई वस्तुएं सार्वजनिक स्थानों से प्राप्त हुईं, और अपराध में प्रयुक्त वाहन की विधिसम्मत पहचान नहीं कराई गई।

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