नेहरू नगर में आईटीआई के रिटायर्ड प्रोफेसर केके श्रीवास्तव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने वर्ष 2002 के बाद से घर या ऑफिस में नियमपूर्वक तिरंगा फहराने की अनुमति दी, तभी से आज तक यह काम जारी है। ठंड, बारिश हो या गर्मी, अगर कोई मेहमान भी आता है तब भी रोजाना छत पर ध्वजारोहण होता है। देशभक्ति के इस नेक कार्य में उनकी पत्नी नीरजा श्रीवास्तव जो प्रिंसिपल हैं, वे भी पूरा साथ देती हैं।
नीरजा बताती हैं कि अगर किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा तो परिवार का कोई एक सदस्य जरूर तिरंगा चढ़ाने, उतारने और फहराने के लिए घर पर मौजूद रहता है। उनके पड़ोस में रहने वाले भी उनका सहयोग करते हैं । ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब प्रोफेसर दंपती ने अपने घर पर ध्वजारोहण न किया हो।
बचपन की घटना से आजीवन संकल्प
पूछने पर केके श्रीवास्तव बताते हैं कि बचपन में 15 अगस्त के दौरान उन्हें उनके स्कूल के किसी शिक्षक ने झंडे की छांव के नीचे खड़ा होने पर मना किया था। नहीं मानने पर उन्हें धक्का देकर हटाया गया। यही बात उनके जेहन में घर कर गई। तब वे छोटे थे, पर तभी से उन्होंने ठान लिया था कि एक न एक दिन वे भी तिरंगा फहराएंगे। वे इससे पहले नौकरी के दौरान अपने शासकीय कार्यालय में तिरंगा फहराते थे। इस दौरान लैग कोड का पूरा ध्यान रखा जाता है। बच्चे भी निभा रहे परंपरा
परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी मुंबई में डॉक्टर, छोटी बेटी दिल्ली में एचआर मैनेजर हैं। बेटा बैंगलुरु में यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। त्योहार या अवकाश पर सभी घर आते हैं और
ध्वजारोहण में शामिल होते हैं। बच्चों को भी यह परंपरा गर्व और खुशी देती है।