CG News: धैर्य और दृढ़ता ने हार न मानने का अर्थ सिखाया
तैराकी की शुरुआत आपने कब और कैसे की? शुरुआती दिनों में सबसे बड़ी चुनौतियां क्या थीं? बचपन से ही मेरा पानी की ओर विशेष आकर्षण था। सबसे पहले मेरे माता-पिता ने मुझे 8 वर्ष की उम्र में ग्रीष्मकालीन कैंप में तैराकी सिखाने के लिए भेजा, और वहीं से मेरी यात्रा शुरू हुई। उस समय सबसे बड़ी चुनौती
स्कूल और तैराकी दोनों को साथ-साथ संतुलित करना था।
3 साल पहले भोपाल नेशनल गेम्स में आपको चोट के बाद कंधे की सर्जरी हुई। तब खेल और भविष्य को लेकर आपके मन में क्या चल रहा था? वह चोट मेरे कॅरियर का सबसे कठिन दौर था। मेरे दाएं कंधे का डिसलोकेशन हुआ था, जिसकी वजह से सर्जरी करानी पड़ी और ठीक होने में पूरे नौ महीने लग गए। उन दिनों मन में कई सवाल आते थे, क्या मैं दोबारा तैर पाऊंगी, क्या मेरा कॅरियर यहीं खत्म हो जाएगा। लेकिन मैंने धैर्य रखा और खुद पर भरोसा बनाए रखा। सभी के सहयोग से मैं न केवल पूरी तरह ठीक हुई, बल्कि पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर वापसी की। इस अनुभव ने मुझे धैर्य, दृढ़ता और कभी हार न मानने का असली अर्थ सिखाया।
क्या छत्तीसगढ़ में तैराकी के लिए नेशनल लेवल के कोई संसाधन और सुविधाएं हैं? नहीं। यहां स्विमिंग पूल तो हैं, लेकिन अधिकांश प्रतियोगिता के मानकों पर खरे नहीं उतरते। प्रशिक्षित कोच, आधुनिक उपकरण बहुत जरूरी है। सही निवेश और योजना बनाई जाए तो
छत्तीसगढ़ तैराकी प्रतिभा का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।
भूमि की उपलब्धियां
स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया 2018: 1 सिल्वर, 1 कांस्य खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022: 1 कांस्य खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023: 1 गोल्ड, दो सिल्पर, एक ब्रांज ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2024: 2 गोल्ड, 1 सिल्वर, 2 ब्रांज
38वां नेशनल गेम्स 2025: 1 कांस्य 55वां सिंगापुर नेशनल एज ग्रुप स्विमिंग चैंपियनशिप 2025: फाइनल में 6 रैंक