तीन फीट के पहिये, देवी -देवताओं की मूर्तियां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ सागवान की लकड़ी से कलात्मक रूप से बने हैं। मंदिर पुजारी देवकिशन पाण्डे के अनुसार इन तीनों रथों का आकार 15 फीट लंबाई, 13 फीट ऊंचाई और 10 फीट चौड़ाई के है। रथों पर भगवान गणेश, लक्ष्मी, विष्णु, गरुड़, सरस्वती, महादेव, शिव पार्वती परिवार सहित देवी-देवताओं की मूर्तियां पीतल व लकड़ी से बनी हुई है। भगवान जगन्नाथ के रथ में गरुड और अंदर की ओर सुदर्शन चक्र, बलभद्र के रथ पर गदा व हल तथा सुभद्रा के रथ पर त्रिशूल व चक्र बने हुए हैं। तीनों रथों पर चार-चार पहियें लगे हुए हैं। पहियों का व्यास तीन-तीन फीट आयताकार है। दशकों पुराने रथ जर्जर स्थिति में पहुंचने पर उद्योगपति शिवरतन अग्रवाल की ओर से लगभग बीस वर्ष पहले तीनों नए रथ का बनवाए गए।
ढाई सौ वर्ष से अधिक प्राचीन मंदिर मंदिर पुजारी देवकिशन पाण्डे के अनुसार बीकानेर रियासत में जगन्नाथ मंदिर की स्थापना हुई थी। यह मंदिर 250 से अधिक वर्ष प्राचीन है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं निज मंदिर में अष्टधातु से बनी भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर परिसर में पारस से निर्मित भगवान गरुड की मूर्ति भी स्थापित है। जगन्नाथ मंदिर में लगभग 12 साल बाद नव मूर्तियां प्रतिष्ठित की जाती हैं। यहां वर्ष 2015 में नई मूर्तियां प्रतिष्ठित हुई थीं। रथयात्रा में शामिल रथों के नाम ताल ध्वज, देवदलन और नंदी घोष हैं। भगवान जगन्नाथ नंदी घोष रथ पर, बलभद्र ताल ध्वज रथ पर और सुभद्रा देव दलन रथ पर विराजित होकर रथयात्रा में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं।
श्रद्धालु हाथों से खींचते हैं तीनों रथ भगवान जगन्नाथ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखाणी के अनुसार बीकानेर में रियासतकाल से जगन्नाथ रखयात्रा का आयोजन हो रहा है। रथयात्रा में तीनों रथों पर ठाकुरजी विराजते हैं। श्रद्धालु भक्त ठाकुरजी के पूजन, दर्शन और महाआरती के बाद रथों को अपने हाथों से खींचते हुए रसिक शिरोमणि मंदिर की ओर लेकर जाते हैं। रास्ते में पुष्प वर्षों से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का स्वागत कर लोग दर्शन करते हैं।