मार्केट से कम लागत
कॉलेज प्रशासन के अनुसार ड्रोन को तैयार करते समय यह विशेष ध्यान रखा गया कि इसकी लागत अभी मार्केट में उपलब्ध कमर्शियल ड्रोन से एक तिहाई ही रहे। ऐसा करने पर किसान इसे आसानी से अपना लेंगे। तकनीक प्रगति के साथ यह कृषि, आपदा प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट सिटी और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में काम आ सकेगा। भारत सरकार की ओर से टेक्वीप -3 स्कीम के तहत आइओटी बेस्ड फायर फाइटिंग ड्रोन विषय पर शोध के लिए यह प्रोजेक्ट प्रदान किया गया था। इसकी डिजाइन व असेंबल मैकेनिकल विभाग में डॉ. धर्मेन्द्र सिंह और मेघा श्याम राजू के नेतृत्व में किया गया।हर क्षेत्र में आएगा काम
कृषि- फसल की निगरानी, कीटनाशकों का छिड़काव, भूमि सर्वेक्षण।आपदा – खोज और बचाव अभियान, राहत सामग्री पहुंचाने। डिलीवरी सेवा- मेडिकल आपूर्ति, पार्सल डिलीवरी।
सिविल इंजीनियरिंग- इमारतों व पुलों का निरीक्षण, 3डी मैपिंग
शोध और नवाचार का माध्यम
विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत सिंह राठौर ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के सफल परिक्षण किया गया है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में विद्यार्थियों के लिए शोध और नवाचार का माध्यम होने के साथ कौशल विकास और इंडस्ट्री-रेडी बनने में भी सहायता कर रहा है। इसमें छात्रों को ट्रेनिंग देकर प्लेसमेंट के नए अवसर दिलाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।दस किलो वजन और पांच किलोमीटर रेंज
यह ड्रोन 10 किलो वजन की फायर फाइटिंग बॉल्स को 15 मिनट तक आकाश में रहकर 20 से 25 वर्गमीटर में फैली आग को बुझाने में सक्षम है। यह ड्रोन 5 किलोमीटर की रेंज में किसी भी जीपीएस लोकेशन तक पहुंच सकता है। थर्मल और आइओटी डिवाइस कैमरे से तापमान की वास्तविक स्थिति की जानकारी भी मिलती है। इसका उपयोग स्पीकर के माध्यम से लोगों तक संदेश पहुंचाने में किया जा सकता है। यह ड्रोन 2 एकड़ क्षेत्रफल में कीटनाशक छिड़कने में भी सक्षम है। इससे टिड्डी दल के हमले से निपटने में मदद मिलेगी।हो रहे नवाचार
इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर संभाग की समस्याओं को दूर करने के लिए विद्यार्थियों के माध्यम से शोध कार्य करवा रहा है। इसी क्रम में कई विभागों में नवाचार किए जा रहे है। इस प्रकार के अन्य प्रोजेक्ट्स पर भी कार्य जारी है। इसमें मुख्यता गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों, सिरेमिक उद्योगों व अन्य समाजोपयोगी कार्यों के लिए ईसीबी की तरफ से योगदान के प्रयास है।- डॉ. ओमप्रकाश जाखड़, प्राचार्य, ईसीबी बीकानेर