इसमें बिटुमेन को गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती। न प्लांट चाहिए, न रोलर और न ही बड़ी मशीनरी। कम लेबर से भी दो से तीन घंटे में सड़क गड्ढामुक्त की जा सकती है। पारंपरिक पद्धति से अधिक इको-फ्रेंडली और किफायती है।
इसका उपयोग शहर और राजमार्गों पर गड्ढों की मरम्मत करने के
साथ ही पार्किंग स्थलों और दरारों को सील करने में हो सकता है, जिससे पानी की क्षति और आगे की गिरावट को रोका जा सके। अस्थायी पैचवर्क कर ट्रैफिक बहाली में मदद कर सकता है। कोल्ड मिक्स डामर सतहों पर क्षतिग्रस्त हिस्सों को रिपेयर कर सकता है।
बीकानेर में सफल प्रयोग के बाद पीडब्ल्यूडी अब इस तकनीक को पूरे राजस्थान में लागू करने की तैयारी कर रहा है।
पीडब्ल्यूडी सिटी डिविजन के अधिशाषी अभियंता डॉ. विमल कुमार गहलोत कहते हैं ”कोल्ड मिक्स तकनीक ने साबित कर दिया है कि बिना मशीनरी और कम साधनों से भी सड़कें दो-तीन घंटे में गड्ढामुक्त हो सकती हैं। यह फास्ट, परमानेंट, कॉस्ट-इफेक्टिव और इको-फ्रेंडली तकनीक है।
सिटी एक्सईएन डॉ. विमल गहलोत के अनुसार, कोल्ड मिक्स में 6.5 से 8त्न बिटुमेन और बारीक ग्रिट मिलाकर सीधे सड़क पर लगाया जाता है। फिर हैंड रमर से कॉम्पेक्शन किया जाता है। यह त्वरित और स्थायी समाधान है, जो पारंपरिक गर्म बिटुमेन की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल भी है। कोल्ड मिक्स तकनीक में बिटुमेन का प्रतिशत लगभग दो गुना रखा जाता है। उपयोग में ली जाने वाली ग्रिट भी बारीक ली जाती है।
– पीडब्ल्यूडी के पास बीकानेर में 600 किमी लंबी सड़कें
– मानसून में खराब हुई 175 किमी सड़कें
– अब तक 55 स्पॉट पर पैचवर्क
– जल्द ही 75 और स्पॉट पर रिपेयर
– 16 मुख्य मार्गों पर इस तकनीक का उपयोग
बीकानेर में सफल प्रयोग
– 12 मुख्य मार्गों पर इस तकनीक से काम हुआ
– 55 स्पॉट पर पैचवर्क किया गया
– परिणाम पूरी तरह सफल रहे
– जल्द ही 75 और जगहों पर इसी तकनीक से मरम्मत होगी
पर्यावरणीय फायदे
– बिटुमेन को गर्म नहीं करना पड़ता, जिससे कार्बन उत्सर्जन घटता है।
– बिटुमेन की अनुप्रयोग प्रक्रिया शांत और पारंपरिक पद्धति से सरल।