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बीकानेर

बच्चे पढ़ेंगे ‘सिर साटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण’ का संदेश

कोमल मन में पेड़ रक्षा का संस्कार रोपण: नई पाठ्य पुस्तकें: एनसीईआरटी की कक्षा 3, 4, 5 की पुस्तक में एक-एक अध्याय खेजड़ली पर।

बीकानेरJul 07, 2025 / 11:57 pm

dinesh kumar swami

दिनेश कुमार स्वामी@बीकानेर. अमृता देवी चीख उठी- ‘खेजड़ी मत काटो’ वह दौड़ पड़ी और खेजड़ी से चिपक गई। राजा के सैनिकों से बहस करने लगी। आवाज सुनकर अमृता देवी की तीनों बेटियां भी दौड़ पड़ी। उनका नाम आसु, रत्नी और भागू था। उन चारों की जिद थी कि खेड़ी काटने नहीं देंगे। सै्निकों ने खूब समझाया कि तुम हट जाओ, लकड़ी काटने दो, नहीं तो खेजड़ी के साथ ही तुम्हें भी काटना पड़ेगा। अमृता देवी बोली गुरु जांभोजी की वाणी है, ‘सिर साटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण’। अर्थात यदि सिर कटा कर भी पेड़ बचाया जाता है तो वह सस्ता सौदा है। दुर्भाग्य… अमृता देवी और उनकी तीन बेटियों की हत्या कर दी गई।
वर्ष 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गांव की यह सच्ची घटना अब पर्यावरण और पेड़ों की रक्षा के संस्कार का बीज कोमल मन में बोएगी। देशभर के साथ प्रदेश के स्कूलों में पहुंची एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की कक्षा 3, 4 और 5 की पुस्तकों खेजड़ली बलिदान की गाथा को शामिल किया हुआ है। इस गाथा को एक-एक अध्याय के रूप में तीनों कक्षाओं की पाठ्य पुस्तक में जगह मिली है। विद्यार्थियों के पास पहुंची पुस्तकों में पेड़ों की रक्षा के खेजड़ली आंदोलन में मां अमृतादेवी बिश्नोई और 363 शहीदों की कहानी छपी हुई है। जो खेजड़ली आंदोलन, खेजड़ी वृक्ष के महत्व, और खेजड़ली नरसंहार की विद्यार्थियों को जानकारी देंगे।

स्कूली पाठ्यक्रम में खेजड़ी पर अध्याय

कक्षा-3

विषय- पर्यावरण अध्ययन

पुस्तक- हमारा परिवेश भाग-1

अध्याय-15, खेजड़ली का बलिदान: पेड़ों के सच्चे रक्षक

कक्षा-4

विषय- हिंदीपुस्तक- हिंदी सुमन भाग-2

अध्याय-13, धरती राजस्थान की
कक्षा-5

विषय- हिंदी

पुस्तक- हिंदी सुमन

अध्याय-16, उत्सर्ग

उद्देश्य: विद्यार्थियों को चार पहलू बताने पर फोकस

1. खेजड़ली आंदोलन: पाठ्यक्रम में शामिल कर खेजड़ली गांव में 1730 में हुए खेजड़ली नरसंहार की घटना की जानकारी देना। इस घटना में बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने खेजड़ी को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी।
2. खेजड़ी वृक्ष का महत्व: खेजड़ी के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। जो रेगिस्तान में पाया जाने वाला ऐसा वृक्ष है, कम पानी में भी जिंदा रहता है।

3. पर्यावरण संरक्षण: खेजड़ली आंदोलन पर्यावरण संरक्षण का एक प्रमुख उदाहरण है। लोगों को पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए प्रेरणा देता हैं।
4. सामाजिक न्याय: सामाजिक न्याय के लिए और अन्याय के खिलाफ लड़ने के महत्व को भी दर्शाता है। अध्यायों में खेजड़ली आंदोलन की कहानी और चित्र शामिल हैं। जो विद्यार्थियों को सामाजिक न्याय को समझने में मदद करते हैं।—

पेड़, पर्यावरण और मां अमृता के बलिदान की गाथा

एनसीईआरटी की तीन पाठ्य पुस्तकों में मां अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान, पेड़ और पर्यावरण की रक्षा के तीन अध्याय छपकर आए है। यह पढ़कर बच्चे अपने माता-पिता को भी खेजड़ली के बलिदान के बारे में बताएंगे। बिश्नोई समाज की मांग को केन्द्र और प्रदेश सरकार ने पूरा किया है। इसके लिए दोनों का आभार।
– शिवराज बिश्नोई, राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई महासभा

बच्चों के अंतरमन पर प्रभाव पड़ेगा

स्कूली शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों की रक्षा की शिक्षा देने वाले अध्याय शामिल किए गए है। खेजड़ली आंदोलन और पेड़ों के महत्व को पढ़ना बच्चों के अंतरमन पर प्रभाव डालेगा। इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे।
– विनोद जम्भदास, महासचिव जाम्भाणी साहित्य अकादमी

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