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बिजनोर

डायलिसिस पर था मरीज बिजली हो गई गुल, तड़प-तड़प कर मौत, जेनरेटर में भी नहीं था डीजल

बिजनौर के जिला अस्पताल में एक दुखद हादसा हो गया। मरीजों की डायलिसिस करते वक्त अचानक से बिजली गुल हो गई। बिजली गुल होने की वजह से एक मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब सीडीओ पूर्ण बोरा अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे।

बिजनोरJun 14, 2025 / 09:56 am

Avaneesh Kumar Mishra

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बिजनौर के जिला अस्पताल में एक मरीज डायलिसिस पर था। उसी समय बिजली गुल हो गई। बिजली गुल होने की वजह से वजह मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई। इस दौरान के अस्पताल के जेनरेटर में डीजल भी नहीं था।
जिस समय सरफराज की मौत हुई उसी वक्त सीडीओ बिजनौर पूर्ण बोरा अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे। जैसे ही उन्हें डायलिसिस के दौरान मरीज की मौत की सूचना मिली। वो वहां पहुंचे, उन्होंने पाया कि पांच और भी मरीजों का डायलिसिस प्रोसेस चल रहा है, लेकिन बिजली न होने के कारण मशीनें, पंखे और लाइट भी बंद थे, जिसको देख सीडीओ ने अपने स्टाफ को भेजकर पचास लीटर डीजल मंगवाया और जनरेटर चालू कराया। फिर मेडिकल अस्पताल प्रशासन के क्रिया कलापों की जांच करनी शुरू कर दी। देरशाम डीएम जसजीत कौर ने भी अस्पताल पहुंचकर मौका मुआयना किया। खामियां मिलने पर उन्होंने जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की बात कही है।
फुलसंदा निवासी 26 वर्षीय सरफराज को किडनी की जटिल समस्या के चलते शुक्रवार को डायलिसिस के लिए लाया गया था। सरफराज की हालत बिगड़ रही थी, लेकिन इसी दौरान बिजली चली गई। डीजल न होने के कारण जेनरेटर भी नहीं चल सका। अस्पताल सूत्रों के अनुसार बिजली आने पर डायलिसिस मशीन चालू की गई, लेकिन थोड़ी ही देर में सरफराज ने दम तोड़ दिया। युवक की मां व तीमारदारों ने पीपीपी मोड की एजेंसी के स्टाफ और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।

डायलिसिस फर्म का मैनेजर नहीं मंगवाता डीजल

CDO को डायलिसिस करने वाले स्टाफ ने बताया कि मेडिकल अस्पताल के डायलिसिस डिपार्टमेंट का ठेका संजीवनी डायलिसिस फर्म के पास है, लेकिन कम्पनी का मैनेजर डीजल नहीं मंगवाता है, जिससे अक्सर बिजली सप्लाई फेल हो जाने पर मशीने बंद हो जाती हैं। तीन घंटे के डायलिसिस प्रोसिजर में पांच घंटे लग जाते है।

मशीन में ही रह गया था आधा खून

सरफराज की मां सलमा ने बताया कि उनके बेटे सरफराज का डायलिसिस चल रहा था। बिजली गुल होने पर आधा खून मशीन में ही रह गया था, तभी उसके बेटे के पेट में दर्द होने लगा। डाक्टर ने उनसे पेट दर्द का इंजेक्शन लाने को बोला। इसके बाद वो पर्चा लेकर इंजेक्शन लाई। सरफराज इंजेक्शन लगाया गया। फिर दवाई खिलाई, लेकिन उसको बेचैनी महसूस हो रही थी।

डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

उन्होंने बताया कि जनरेटर चलाने को बोला तो मेडिकल स्टाफ ने कह दिया कि डीजल नहीं है। उन्होंने रो रोकर सबसे जनरेटर चलाने को कहा, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। सरफराज ने दम तोड दिया। उनके बेटे की जान अस्पताल स्टाफ और डाक्टरों की लापरवाही ने ले ली. सीडीओ पूर्ण बोरा ने बताया कि बिजनौर मेडिकल अस्पताल की कई शिकायतें मिल रही थीं, जिसकी जांच के लिए वो पहुंचे। तब पता चला कि डायलिसिस विभाग में बिजली नहीं होने के कारण डायलिसिस मरीजों की हालत बिगड़ रही है।
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सीडीओ ने बताया कि उनके सामने ही एक युवक की दुखद मौत हो गई। डायलिसिस विभाग के सभी रिकार्ड जब्त कर लिए हैं। यहां मशीनें, दवाइयां सभी गंदगी में रखे हैं। मेडिकल अस्पताल प्रचार्या डा. उषा से व्यवस्था सुचारू रखने को कहा है, ताकि मरीजों का अच्छा इलाज हो सके।

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