मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किए जाने पर आश्चर्य जताया। कोर्ट
ने कहा कि मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा 14 अगस्त 2019 को ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण पर पारित कानून पर कोई स्थगन (Stay) नहीं है। इसके बाद भी राज्य सरकार मार्च 2019 के अंतरिम आदेश के आधार पर ओबीसी को निर्धारित आरक्षण लागू नहीं कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विधायी प्रक्रिया के बाद पारित कानून पर यह लागू नहीं होता।
मामले की 4 जुलाई की सुनवाई निर्णायक
राज्य विधानसभा द्वारा कानून बना दिए जाने के बाद भी आरक्षण लागू नहीं किए जाने से ओबीसी वर्ग में नाराजगी है। ओबीसी उम्मीदवारों ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तत्काल राहत देने की मांग की है। Writ Petition (Civil) 606/2025 के तहत मामले की 4 जुलाई की सुनवाई निर्णायक मानी जा रही है। एमपी में ओबीसी के लाखों उम्मीदवारों को पिछले 6 साल से 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू किए जाने का इंतजार है। इतना ही नहीं, ओबीसी आरक्षण पर स्पष्टता नहीं होने की वजह से एमपीपीएससी सहित प्रदेश की अन्य सरकारी भर्तियों में चयन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इससे संबंधित उम्मीदवार परेशान हो रहे हैं। अब सभी की नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिक गई है।