अब तक प्लॉट खाली क्यों हैं, इसका उचित जवाब नहीं देंगे तो फिर आवंटन भी निरस्त हो सकता है। बीडीए शहर में 10000 से अधिक भूखंड का विक्रय कर चुका है।
यहां खाली प्लॉट
-एयरोसिटी में 40 फीसदी प्लॉट खाली है। -मिसरोद फेज एक व दो में 60 फीसदी प्लॉट पर निर्माण नहीं हुए। पूरा क्षेत्र ही खाली नजर आता है। -विद्यानगर फेस दो में प्लॉट आवंटित, लेकिन निर्माण नहीं हुआ। -गोंदरमऊ में राजाभोज आवासीय परिसर में 50 फीसदी प्लॉट खाली।
-बर्रई योजना में आवंटित प्लॉट में से अधिकतम नहीं बने हैं।
ये हो सकती कार्रवाई
-प्लॉट मालिक पर जुर्माना या अतिरिक्त शुल्क वसूली की कार्रवाई। यह शुल्क प्लॉट की कीमत का एक निश्चित प्रतिशत है। -छूट की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध होता है जो पेनल्टी के साथ इसे दिया जा सकता है। -नोटिस के बाद उचित जवाब नहीं देने व निर्माण शुरू नहीं करने पर भूखंड को वापस प्राधिकरण अधिकार में ले सकता है।
इसलिए 3 साल का नियम
कॉलोनी में तय समय पर विकास हो, इसलिए यहां प्लॉट पर मकान-दुकान बनना जरूरी है। खाली प्लॉट होने से आसपास के क्षेत्र में खालीपन लगता है और कॉलोनी का तय स्वरूप नहीं बन पाता। इतना ही नहीं, यहां अराजकता, गंदगी और अन्य परेशानी की स्थिति बनती है। तय समय पर निर्माण कराने हमारी टीम काम करती है। नियम प्रक्रिया तय है, उसके अनुसार फिर कार्रवाई की जाती है।- संजीव सिंह, प्रशासक, बीडीए