राजस्व विभाग की आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि नागरिकों को उनकी भूमि से संबंधित दस्तावेज की जानकारी ऑनलाइन प्रदान करने के लिए नवीन पोर्टल 2.0 को विकसित किया गया है। राजस्व विभाग ने पहले नरसिंहपुर और सिवनी जिलों में इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में संचालित किया। अब इसे राज्य स्तर पर लागू कर दिया गया है।
भूलेख के नए वर्जन से नागरिकों को कम समय में अधिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। वेब जीआईएस 2.0 में वेब पोर्टल के साथ-साथ मोबाइल ऐप भी उपलब्ध कराया गया है। इसकी मदद से नागरिक खसरे की प्रमाणित प्रतिलिपि व्हाट्स ऐप के माध्यम से भी प्राप्त कर सकते हैं।
अनेक भू-अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि
नए पोर्टल में ओटीपी आधारित ई-केवाईसी सुविधा भी उपलब्ध होगी। नए भूलेख पोर्टल पर नागरिक एक ही आवेदन द्वारा अनेक भू-अभिलेखों का चयन कर इन अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त कर सकेंगे। राजस्व आयुक्त ने बताया कि वेब जीआईएस 1.0 की मौजूदा कार्य-क्षमता में सुधार के लिए नवीन वर्जन में पुराने सर्वर, स्टोरेज को प्रतिस्थापित कर नए तकनीकी सर्वर्स स्थापित किए गए हैं। इससे आमजन की समस्याओं का तुरंत निराकरण किया जा सकेगा।
गुणवत्ता को बढ़ाते हुए वेब जीआईएस 2.0 लांच किया
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने बताया कि प्रदेश में भूलेख पोर्टल का वर्जन-1 (वेब जीआईएस 1.0) संचालित किया जा रहा था। इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हुए अब वेब जीआईएस 2.0 लांच किया गया है। नया पोर्टल URL : https://webgis2.mpbhulekh.gov.in पर लांच किया गया है।
181 पर कॉल करने से भी मिलेगी खसरे की नकल
इधर जनसेवा लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 में भी जमीन के खसरा-खतौनी की नकल के लिए टोल-फ्री नंबर 181 का संचालन किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार 181 पर कॉल करें, नकल आपको एसएमएस व वॉट्सएप पर आएगी। सीएम सीएम जन सेवा के माध्यम से इनमें स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, चालू खसरा की प्रतिलिपि, खतौनी की प्रतिलिपि, चालू नक्शा की प्रतिलिपि, भू-अधिकार पुस्तिका की प्रतिलिपि और स्पेसिमेन कॉपी (खसरा, खतौनी एवं नक्शा) 181 पर एक कॉल पर से उपलब्ध कराई जा रही है।