उनकी वर्तमान स्थिति, अतिक्रमण, जलभराव क्षमता और इसे बढ़ाने को किए उपाए बताएं। किसी वेटलैंड, जलाशय में पक्का निर्माण न हो। एनजीटी ने हर 3 माह में रिपोर्ट तलब की। एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच ने राशिद नूर खान की सिरपुर लेक इंदौर संबंधी याचिका पर सुनवाई के बाद फैसले में ये निर्देश दिए।
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इस फैसले में ट्रिब्यूनल ने सिर्फ सिरपुर लेक ही नहीं, पूरे प्रदेश के सभी जलस्रोतों के संरक्षण पर बल दिया है। ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा कि मप्र जलस्रोतों, जंगल और बायोडायवर्सिटी के मामले में समृद्ध है। लेकिन संरक्षण नहीं हो रहा। प्रदेश में पर्यावरण और लोक स्वास्थ्य के प्रति सरकारी अफसरों का रवैया उदासीन है, इसलिए स्थिति बेहद असंतोषजनक हो चुकी है। जलस्रोतों में बायोमेडिकल वेस्ट और अनुपचारित सीवेज मिलाने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यह कानूनी दृष्टि से भी अपराध है। इसे तत्काल रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
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- एनजीटी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि आपसी तालमेल के लिए लोक स्वास्थ्य, सिंचाई, पर्यावरण, नगरीय विकास, राजस्व विभागों के साथ बैठक करें।
- संरक्षण कार्रवाई की टाइमलाइन, बजट उपलब्धता, विभागीय अफसरों की जिम्मेदारी व निगरानी सिस्टम तय हो।
- स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी, एमपी-पीसीबी को बैठक में शामिल कर जलस्रेातों की समीक्षा व संरक्षण का रोडमैप बनाएं।
- केवल प्राकृतिक झील, तालाब और नदियों को ही नहीं, मानव निर्मित बांधों के आसपास भी संरक्षण पर ध्यान दें।
- वेटलैंड में हुए अवैध निर्माणों को हटाएं। सीसीटीवी से निगरानी करें। जलस्रोतों के जल की नियमित जांच हो।
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प्रदेश के प्रमुख वेटलैंड व जलाशय
प्रदेश में 4 रामसर वेटलैंड साइट भोज वेटलैंड भोपाल, सिरपुर लेक और यशवंत सागर इंदौर और सांख्य सागर शिवपुरी हैं। इसके साथ रंगूनैन लेक छतरपुर, बेनीसागर लेक खजुराहो, लाखा बंजारा लेक सागर, संग्राम सागर और जलपरी लेक जबलपुर, तवा रिजरवॉयर नर्मदापुरम, हलाली डैम विदिशा, रानी लेक रीवा, तेलिया लेक मंदसौर, मोरवन रिजरवॉयर नीमच, नागचून लेक खंडवा, मुंज सागर लेक धार, धरम सागर पन्ना, भोपाल की शाहपुरा, मुंशी हुसैन खां, मोतिया, नवाब सिद्दीक हसन खां तालाब शामिल हैं।