अरब देशों को 70 हजार टन चावल देता है एमपी
इनमें करीब 1 लाख टन चावल गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर अटका है। खास यह है कि हर साल 4 हजार करोड़ रुपए के चावल का निर्यात करने वाले मप्र की राइस मिलों की भी परेशानी बढ़ गई है। सिर्फ नर्मदापुरम के पिपरिया से ही ईरान और अरब देशों में 75 हजार टन बासमती और सेला चावल भेजे जाते हैं। लेकिन युद्ध के बीच समुद्री मार्ग बंद होने से ये स्टॉक बंदरगाहों पर अटक गए हैं। (MP News)ईरान-इजराइल युद्ध का असर, तेजी से बढ़ रहे ड्राईफ्रूट्स के दाम, हलवा-खीर खाना अब पड़ेगा महंगा
मप्र में चावल उत्पादक बेल्ट
भोपाल, जबलपुर और विदिशा जिले में चावल की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है। मंडीदीप में कुछ बड़े ब्रांड भी मिले हैं। यहां से चावल गुजरात के बंदरगाह पर भेजा जाता है। ईरान बासमती चावल का भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है। 2024-25 में भारत ने ईरान को 75 लाख टन बासमती चावल भेजा। इनमें 1 लाख टन बंदरगाहों पर फसा हुआ है।वित्तीय वर्ष 2024-15 में भारत ने करीब 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया है। इसमें बड़ी हिस्सेदी मध्य पूर्वी और पश्चिमी एशिया के देशों की है। सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अमरीका में भी भारत से चावल भेजे जाते हैं।
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निर्यात में मप्र की स्थिति
- 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात 2024-25 में भारत ने किया।
- मप्र की भागीदारी इनमै 3%
- 4000 करोड़ के चावल मप्र से हर साल होते हैं नियांत
- 75 हजार टन चावल नर्मदापुरम के पिपरिया से भेजे जाते हैं
- 30 हजार टन चावल मंडीदीप से नियाँल
- 20% चावल युद्ध के कारण गुजरात में बंदरगाहों पर फंसा
- घरेलू थोक और खुदरा बाजार में घट गए भाव