scriptईरान-इजराइल युद्ध से भारत को फायदा, सस्ता हुआ चावल, 15 रुपए तक गिरे दाम | MP News Rice became cheaper Israel-Iran Conflict Basmati prices fell up to Rs 15 | Patrika News
भोपाल

ईरान-इजराइल युद्ध से भारत को फायदा, सस्ता हुआ चावल, 15 रुपए तक गिरे दाम

Israel-Iran Conflict: ईरान-इजराइल युद्ध का सीधा असर भारत के चावल व्यापार पर पड़ा है। निर्यात रुका, बंदरगाहों पर स्टॉक अटका और बाजार में दाम 10-15 रुपए किलो तक गिर गए। (Rice became cheaper)

भोपालJun 25, 2025 / 08:58 am

Akash Dewani

Rice became cheaper due to Israel-Iran Conflict MP News (फोटो सोर्स-AI)

Rice became cheaper due to Israel-Iran Conflict

(फोटो सोर्स-AI)

Rice became cheaper: ईरान-इजराइल युद्ध (Israel-Iran Conflict) ने भारतीय चावल कारोबार को प्रभावित कर दिया है। युद्ध के कारण एक और जहां देश के बंदरगाहों पर चावल के स्टॉक अटक गए हैं। वहीं चावल के खुदरा दरों में भी 10 से 15 रुपए प्रति किलों की गिरावट आ गई है। कारोबारी नुकसान के बीच गिरे दाम से आम उपभोक्ताओं को राहत जरूर मिल गई है।
हालांकि, सुपर स्टोरों ने पैक्ड चावल के दाम नहीं घटाए हैं, लेकिन स्थानीय थोक से लेकर खुदरा बाजारों तक इसका असर अब दिखने लगा है।बाजार विशेषज्ञों की मानें तो भारत से बासमती चावल (Basmati price) का सबसे बड़ा ग्राहक सऊदी अरब हैं। दूसरे नंबर पर ईरान है। वित्त वर्ष 2024-25 में मार्च तक भारत ने ईरान को करीब 10 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। (MP News)

अरब देशों को 70 हजार टन चावल देता है एमपी

इनमें करीब 1 लाख टन चावल गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर अटका है। खास यह है कि हर साल 4 हजार करोड़ रुपए के चावल का निर्यात करने वाले मप्र की राइस मिलों की भी परेशानी बढ़ गई है। सिर्फ नर्मदापुरम के पिपरिया से ही ईरान और अरब देशों में 75 हजार टन बासमती और सेला चावल भेजे जाते हैं। लेकिन युद्ध के बीच समुद्री मार्ग बंद होने से ये स्टॉक बंदरगाहों पर अटक गए हैं। (MP News)
इससे व्यापारियों का नुकसान भी बढ़ने लगा है। कई व्यापारियों ने ईरान में रुपए फंसने की आशंका में भी फिलहाल निर्यात से दूरी बना ली है। निर्यात विशेषज्ञ सुविध शाह ने बताया कि ईरान-इजराइल युद्ध का असर चावल बाजार पर पड़ा है। निर्यात भी प्रभावित हुआ है। बंदरगाहों पर बड़े पैमाने पर स्टॉक पड़ा है। निर्यात न होने से कारोबारी घरेलू बाजार में बेच रहे हैं। भाव कम हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें

ईरान-इजराइल युद्ध का असर, तेजी से बढ़ रहे ड्राईफ्रूट्स के दाम, हलवा-खीर खाना अब पड़ेगा महंगा


मप्र में चावल उत्पादक बेल्ट

भोपाल, जबलपुर और विदिशा जिले में चावल की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है। मंडीदीप में कुछ बड़े ब्रांड भी मिले हैं। यहां से चावल गुजरात के बंदरगाह पर भेजा जाता है। ईरान बासमती चावल का भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है। 2024-25 में भारत ने ईरान को 75 लाख टन बासमती चावल भेजा। इनमें 1 लाख टन बंदरगाहों पर फसा हुआ है।
देश से 60 हजार करोड़ रुपए के बासमती चावल का निर्यात, मप्र से 4 हजार करोड़
वित्तीय वर्ष 2024-15 में भारत ने करीब 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया है। इसमें बड़ी हिस्सेदी मध्य पूर्वी और पश्चिमी एशिया के देशों की है। सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अमरीका में भी भारत से चावल भेजे जाते हैं।
एसोसिशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज मंडीदीप के चेयरमैन राजीव अग्रवाल की मानें तो मंडीदीप से यूरोपीय देशों के लिए रेलवे से रोज चावल की एक रैक निकलती है। प्रदेश से अमूमन 70 हजार करोड़ के सामान का निर्यात होता है। इनमें सिर्फ चावल की हिस्सेदारी ही करीब 4000 करोड़ है। इनमें भी सिर्फ मंडीदीप से 30 हजार टन चावल का निर्यात होता है। (MP News)
यह भी पढ़ें

‘मोबाइल पर मैसेज आते ही बंकरों में जाना पड़ रहा, इजराइल में फंसे एमपी के लोगों की आपबीती से दहल जाएगा दिल


निर्यात में मप्र की स्थिति

  • 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात 2024-25 में भारत ने किया।
  • मप्र की भागीदारी इनमै 3%
  • 4000 करोड़ के चावल मप्र से हर साल होते हैं नियांत
  • 75 हजार टन चावल नर्मदापुरम के पिपरिया से भेजे जाते हैं
  • 30 हजार टन चावल मंडीदीप से नियाँल
  • 20% चावल युद्ध के कारण गुजरात में बंदरगाहों पर फंसा
  • घरेलू थोक और खुदरा बाजार में घट गए भाव

Hindi News / Bhopal / ईरान-इजराइल युद्ध से भारत को फायदा, सस्ता हुआ चावल, 15 रुपए तक गिरे दाम

ट्रेंडिंग वीडियो