धोखाधड़ी के मामलों की जिम्मेवारी
- 5 से 20 लाख तक की धोखाधड़ी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
- 20 लाख तक की धोखाधड़ी पुलिस अधीक्षक
- 05 लाख तक की धोखाधड़ी अनुविभागीय पुलिस अधिकारी
- अन्य अपराधः थाना प्रभारी की जिम्मेदारी
एसपी की जिम्मेदारी
एसओपी के अनुसार, जिलों के एसपी को हर माह कम से कम 4 गंभीर अपराधों की जांच खुद करनी होगी। यदि ऐसे मामलों की संख्या कम है तो अन्य गंभीर अपराधों का चयन करना होगा। एसपी मौके पर जांच करेंगे और हर माह अन्य 6 मामलों की विवेचना की निगरानी भी करेंगे। चार्जशीट पेश होने तक निगरानी करेंगे।
जांच के दौरान ध्यान रखने योग्य बिंदु
- पर्यवेक्षण अधिकारी विवेचना में किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार होंगे।
- साक्ष्यों का संग्रह, संदिग्धों की जांच तलाशी, जब्ती और लैब रिपोर्ट समय पर सुनिश्चित करनी होगी।
- किसी निर्दोष व्यक्ति पर मुकदमा न चले। जांच में अहम साक्ष्य छूटे नहीं।
- एफआइआर केवल शुरुआत है, चालान पेश में जल्दबाजी न हो।
- विवेचना पूरी होने के बाद केस डायरी में स्पष्ट अभिमत दर्ज करना अनिवार्य।
क्यों बनी एसओपी
इंदौर हाईकोर्ट ने गंभीर अपराधों की जांच में चूक रोकने के लिए हर जिले में आइपीएस अफसर और सब-इंस्पेक्टर स्तर तक जिम्मा तय करने के निर्देश दिए थे। इसके खिलाफ पुलिस मुख्यालय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां से सहमति के बाद पूरे प्रदेश में गंभीर मामलों की जांच के लिए एसओपी बनाई।