यह खुलासा गुरुवार को
एमपी विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) के वर्ष 2023-24 के लिए राज्य वित्त पर दिए प्रतिवेदन में हुआ है। कैग ने उधारी से उधार चुकाने की प्रवृत्ति को नियमों के खिलाफ बताया है।
क्या कहती है कैग की रिपोर्ट
कैग रिपोर्ट के अनुसार, उधार लिए धन का उपयोग पूंजी सृजन और विकास संबंधी गतिविधियों में होना चाहिए। लेकिन वर्तमान उपभोग को पूरा करने और बकाया कर्ज पर ब्याज की अदायगी के लिए हो रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले पांच साल में राज्य शासन ने औसतन 30.95त्न राशि का उपयोग पुरानी उधारी चुकाने में किया है। जबकि वर्ष 2023-24 के दौरान अपने कुल उधार का 33त्न पिछले ऋण या देयताओं को चुकाने के लिए खर्च किया है। इससे उधार ली गई राशि में से पूंजीगत व्यय के लिए कम गुंजाइश बची। 2019 से 2024 की अवधि में ऋण का पुनर्भुगतान करने के बाद ऋण की निवल उपलब्ध निधि 62.62 से 80.92त्न के बीच रही। इससे विकास गतिविधियों के लिए सीमित धन राशि बची।
सत्र- कुल उधारियां -उधारियों का भुगतान – विकास निधि शेष
2019-20 – 34364 – 10933 – 23430 2020-21 – 65170 – 12757 – 52413 2021-22 – 46285 – 15162 – 31122 2022-23 – 58867 – 22006 – 36861 2023-24 – 65180 – 21635 – 43544 (स्रोत- कैग रिपोर्ट, राशि करोड़ रुपए में)
वित्तीय प्रबंधन को सुधारने के लिए कैग ने की ये सिफारिशें
राज्य शासन नए उधार लेने से पहले जरूरत का उधार लेने और मौजूदा नकदी के उपयोग पर विचार कर सकती है। शासन अपने निवेशों पर उच्चतर प्रतिलाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने निवेशों की समीक्षा-पुनर्गठन कर सकती है। शासन को राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जो भारी नुकसान उठा रहे हैं, के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए और उनके पुनरुद्धार की रणनीति तैयार करना चाहिए।
सरकार बजट प्रक्रिया की योजना अधिक तर्कसंगत तरीके से बनाने के लिए उपाय शुरू कर सकती है।