यह खुलासा विधानसभा (MP Assembly Monsoon Session 2025) में सरकार (MP BJP government) के लिखित जवाब से हुआ है। सरदारपुर से कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सवाल (MP Congress MLA Question) पूछा था। सरकार के जवाब के अनुसार, बेलवाल सीईओ पद के पात्र नहीं थे। आजीविका मिशन का पद आएएस कैडर का था। इस पर आइएएस को ही नियुक्ति दी जा सकती है। एसीएस मनोज श्रीवास्तव ने यह बात लिखित में तब मुख्य सचिव रहे बैंस को बताई थी। तब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेशों का हवाला देकर नियुक्ति कराई।
मंत्री ने एसीएस के तर्कों का किया था समर्थन
विधायक ग्रेवाल को दिए जवाब में दावा किया है कि तत्कालीन मंत्री सिसोदिया ने एसीएस की टीप का समर्थन कर बेलवाल को सीईओ बनाने व वित्तीय अधिकार दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। लिखा था कि इस पद पर आइएएस की नियुक्ति करें। सूत्र बताते हैं, सीएस ने मंत्री को सूचना दी कि मुख्यमंत्री से बात हो गई है, बेलवाल की नियुक्ति अस्थायी है। तीन साल तक आइएएस नियुक्त नहीं कर सकेंगे। आदेश जारी करें।
बेलवाल पर कई आरोप
बेलवाल पर आजीविका ग्रामीण मिशन में करोड़ों का घोटाला करने के आरोप लगे थे। जांच आइएएस नेहा मारव्या ने की। उनके खिलाफ पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत के आधार पर 2024 में लोकायुक्त ने मामला दर्ज किया। बेलवाल पर हजारों करोड़ के कई घोटाले के आरोप हैं।
ऐसा भ्रष्टाचार
बेलवाल 31 दिसंबर 2018 को रिटायर्ड हुए। उन्हें 18 माह बाद नियम तोड़ बिना आवेदन, सहमति, विज्ञप्ति निकाले संविदा पर विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बना दिया। 29 जुलाई 2020 को सीईओ बनाया। वे नवंबर 2023 तक सीईओ रहे, ३ बार संविदा पर रखा।
नोटशीट गोपनीय रखने के थे निर्देश
तब एसीएस ने बेलवाल के आदेश जारी करते लिखा था किउक्त आदेश की प्रति जीएडी कार्मिक, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए। ताकि किसी भी आपत्ति पर कार्रवाई की जाए। इस पर सीएस ने 13 मई 2021 को निर्देश दिए थे कि संपूर्ण नोटशीट गोपनीय रखी जाए।
तत्कालीन एसीएस ने ली थी आपत्ति
बेलवाल को सलाहकार और सहयोग के लिए नियुक्त किया था, न कि सीईओ के लिए। संविदा कर्मी को वित्तीय कार्य वाला सीईओ नहीं बना सकते। यहां तक कि तब सीएस के आदेश पर एसीएस ने टीप लिखी कि यह पद का दुरुपयोग है। शक्ति का पक्षपातपूर्ण उपयोग है।