हर सोमवार एम्स भोपाल की जीआई ऑन्को क्लिनिक में कोलोरेक्टल और अन्य पाचन तंत्र कैंसर की विशेष जांच होती है। विभाग ने राष्ट्रीय स्क्रीनिंग नीति की मांग करते हुए कहा कि जनजागरूकता और समय पर जांच ही बचाव का एकमात्र रास्ता है।
हर चौथा युवा इस बीमारी का मरीज
इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए एम्स भोपाल के कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के 25 प्रतिशत नए मरीज 40 वर्ष से कम आयु के हैं। पहले यह रोग पश्चिमी जीवनशैली से जुड़ा माना जाता था। लेकिन अब भारतीय आबादी, विशेषकर शहरी युवाओं में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता भारी
शुरुआत में थकान, वजन घटना या एनीमिया जैसे लक्षण दिखते हैं। मल में खून आना अक्सर बवासीर समझा जाता है। इससे सही निदान में देरी होती है। एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह ने कहा कि 45 की उम्र के बाद कोलोनोस्कोपी जांच जरूरी है।