MP समेत 4 राज्यों को काटकर ‘नया प्रदेश’ बनाने की मांग, सांसद ने पोस्ट किया मैप
Demand of Bhil Pradesh: एमपी के कुछ जिलों समेत 4 राज्यों के करीब 49 जिलों को मिलाकर नया ‘भील प्रदेश’ बनाने की मांग एक बार फिर उठने लगी है। इस बार यह मांग सांसद राजकुमार रोत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में की है, जिससे चारों राज्यों में हलचल मच गई है। (mp news)
Demand of Bhil Pradesh MP Rajkumar Roat Malwa and Nimar region
(फोटो सोर्स- राजकुमार रोत एक्स हैंडल)
Demand of Bhil Pradesh: भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत (MP Rajkumar Roat) ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट से मध्य प्रदेश समेत 4 राज्यों में हलचल मचा दी है। उन्होंने X पर दो नक्शे शेयर किए हैं जिनमें वे मध्य प्रदेश के कुछ जिलों समेत 4 राज्यों में से एक नया भील राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। (mp news)
उन्होंने दोनों नक्शे शेयर करते हुए लिखा कि ‘यह मांग 1913 से की जा रही है जिसके लिए 1500 आदिवासियों ने अपनी जान दी।’ अब सांसद की इस पोस्ट के बाद मध्य प्रदेश में भील राज्य की मांग वाले जिलों में भी इस मांग ने आग पकड़ ली है। खरगोन और झाबुआ में भील प्रतिनिधियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर ‘भील प्रदेश’ के गठन की मांग की है।(mp news)
भील प्रदेश में एमपी के किस हिस्से की मांग
आपको बता दें कि, राजकुमार रोत द्वारा पोस्ट किए गए नक्शे में एमपी के पश्चिमी हिस्से यानी मालवा और निमाड़ क्षेत्र के कुछ जिलों को भील प्रदेश का हिस्सा बनाने की मांग की गई है। इसमें रतलाम ग्रामीण, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, झाबुआ और खरगोन शामिल हैं। इस नए राज्य में चार राज्यों से कुल 49 जिलों को अलग कर नया प्रदेश बनाने की मांग की गई है।
1500 आदिवासी हुए शहीद- सांसद
सांसद राजकुमार रोत ने अपने सोशल मीडिया में लिखा कि ‘भील राज्य की मांग को लेकर गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में 1500 से अधिक आदिवासी मानगढ़ पर शहीद हुए थे।आजादी के बाद भील प्रदेश को चार राज्य में बांटकर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय किया। गोविंद गुरु के नेतृत्व में शहीद हुए 1500 से अधिक शहीदों के सम्मान में भील प्रदेश राज्य बनाना है।’
एमपी के दो जिलों में भील प्रदेश के समर्थन में सौंपा गया ज्ञापन
खरगोन के मंडलेश्वर और झाबुआ सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सर्व आदिवासी समाज और जयस संगठन ने मंगलवार को भील प्रदेश की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की विधानसभाओं से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजने की अपील की गई।
साथ ही 9 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने, आदिवासी कार्यकर्ताओं पर लगे केस वापस लेने और वन विभाग द्वारा किए जा रहे अमानवीय कृत्यों की जांच की मांग की गई। जल, जंगल, जमीन और आरक्षण की सुरक्षा के लिए भील प्रदेश की जरूरत बताई गई। झाबुआ सहित कई जिलों में आंदोलन हुआ।
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