क्षमता हुई कम
बड़े तालाब में हर साल 1.71 अरब लीटर जलग्रहण क्षमता घट रही है। 2022 की एक स्टडी के मुताबिक अब तक तालाब की क्षमता करीब 25.90 अरब लीटर कम हो चुकी है। सबसे ज्यादा गाद तकिया टापू और वन विहार के बीच करीब तीन मीटर तक जमा हो चुकी है। वहीं बैरागढ़ और लहारपुर जैसे 50 से ज्यादा इलाकों में भी गाद की मोटी परत बन गई है। तालाब में जिन-जिन मुहानों से पानी आ रहा है, वहां अधिक गाद जमा हो रही है। (bhopal bada talab)
गाद निकालना चुनौती
भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के दौरान अनुमान लगाया गया था कि यदि 2 मीटर गाद निकाल दी जाए, तो तालाब की क्षमता 40 करोड़ लीटर बढ़ सकती है। लेकिन इसके लिए 400 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। साथ ही इस काम में करीब 20 साल का समय लगेगा। (bhopal bada talab)
हो सकता है जल संकट
शहर के करीब 40 नालों का गंदा पानी सीधे तालाब में मिल रहा है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 24.50 करोड़ लीटर अनट्रीटेड सीवेज तालाब में पहुंच रहा है। साल 1950 में तालाब के पानी की गुणवत्ता ए-कैटेगरी (बिना फिल्टर पीने लायक) से गिरकर सी-कैटेगरी तक पहुंच गई है। तालाब के आस-पास की करीब 9 लाख की आबादी इस तालाब के भरोसे हैं। यदि यही हाल रहा, तो जल्द ही यह डी-कैटेगरी में चला जाएगा। क्यों बचाना जरूरी
- रामसर साइटः 2002 में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड घोषित किया गया।
- जैव विविधताः 210 पक्षियों की प्रजातियां, 223 जलीय पौधे और 86 तितलियों की प्रजातियां।
- पर्यावरण संतुलनः सतह के मुकाबले 10 गुना ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है।
- पेयजल स्रोतः राजधानी सहित आस-पास के गांवों में करीब 9 लाख आबादी को पानी की आपूर्ति का यह प्रमुख स्रोत।
सेप्ट रिपोर्ट में तालाब बचाने की ये सिफारिशें
- कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण हटे
- जैव विविधता वाले क्षेत्रों में मानवीय गतिविधि थमे
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता बढ़े