जबलपुर स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की रिपोर्ट में बहेरा के 6 वर्षीय अजय गौतम की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस से होने की पुष्टि की गई। रिपोर्ट सामने आने के बाद राज्य का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड पर आ गया। इधर अमरपुर बीएमओ एसएस मरकाम सहित मलेरिया विभाग की टीम बहेरा पहुंची है। मृत बालक के परिजनों से बीमारी के संबंध में जानकारी ली और गांव में पानी आदि की जांच भी की।
अजय के पिता संतोष गौतम व मां सुनैना ने बताया कि 21-22 दिन पहले अजय खेलते-खेलते गिर पड़ा था जिसके बाद उसके पैर में सूजन आ गई थी। बाद में हालत बिगड़ गई। 31 जुलाई को उसे तेज बुखार आया जिसके बाद डॉक्टरों को दिखाया। उसका पैर काला पड़ गया और मवाद भी बनने लगा तब अजय को 2 अगस्त को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। जबलपुर की आईसीएमआर की लैब में हुई जांच की रिपोर्ट में अजय के जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित होने की बात सामने आई है।
डिंडोरी की प्रभारी मलेरिया अधिकारी डॉ. जयश्री मरावी के मुताबिक आईसीएमआरएस की रिपोर्ट में बच्चे की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह से होना बताया गया है। अमरपुर बीएमओ के साथ मलेरिया विभाग की टीम गांव गई और परिजनों से बच्चे को हुई बीमारी से जुड़ी जानकारी ली। पूरे गांव में दवा का छिडक़ाव किया जाएगा।
बड़ी बहन की भी बिगड़ी तबियत
अजय की मौत के बाद उसकी बड़ी बहन मधु को भी बुखार आ रहा है। मलेरिया अधिकारियों के अनुसार उसे दो दिन से लगातार बुखार आ रहा है। मधु को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सकों के अनुसार उसका बुखार सामान्य लग रहा है क्योंकि सूजन जैसे कोई लक्षण नहीं हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण
जीका वायरस मच्छरों से मनुष्यों में फैलता है। चिकित्सकों के अनुसार मामूली लक्षण के रूप में बुखार और सिरदर्द होता है। ज्यादा गंभीर रूप लेने पर मस्तिष्क में सूजन इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकती है, जिससे प्रभावित मरीज को दौरे पड सकते हैं, वह कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मृत्यु हो सकती है। जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा उपाय है।
जीका वायरस के मामले पहले भी सामने आ चुके
बता दें कि मध्यप्रदेश जीका वायरस के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 2018 में तो प्रदेश में 127 मामले, आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे।