दरअसल, प्रदेशभर के कई नगर निगम और निकायों में सहायक अतिक्रमण अधिकारी और सहायक नगर निवेशक के 76 पद खाली हैं। इसको लेकर वर्ष 2017 और 2022 में दो बार परीक्षा आयोजित हो चुकी हैं।
काउंसलिंग में सभी को रिजेक्ट कर दिया
2022 में हुई परीक्षा में तो 4 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया था, लेकिन फिर भी पद नहीं भरे जा सके। कर्मचारी चयन मंडल ने नंबर के आधार पर जो मेरिट लिस्ट फाइनल की थी, उनमें से किसी भी परीक्षार्थी के पास सहायक अतिक्रमण अधिकारी और सहायक नगर निवेशक के पद पर नौकरी करने के लिए डिग्री नहीं थी। इसलिए काउंसलिंग में सभी को रिजेक्ट कर दिया। मेरिट और वेटिंग लिस्ट में शामिल लोगों को जब डिग्री के आधार पर रिजेक्ट किया तो बचे हुए अन्य उन डिग्री धारक परीक्षार्थियों ने आवेदन किया कि उन्हें मौका दिया जाए, क्योंकि वे परीक्षा में शामिल हुए थे। पास हुए और उनके पास इस पद के लिए विशेष डिग्री भी है, लेकिन नगरीय निकायों और कर्मचारी चयन मंडल ने मौका ही नहीं दिया। इसको लेकर परीक्षार्थियों ने कोर्ट की शरण ली थी।
मंडल का तर्क: हर पास परीक्षार्थी नियुक्ति के लिए पात्र नहीं
परीक्षार्थियों ने बताया कि वो परीक्षा में पास हुए हैं। खुद नगरीय निकाय भर्ती करना चाहता है, उसने कर्मचारी चयन मंडल से पास हुए परीक्षार्थियों की सूची और भर्ती करने पर अभिमत भी मांगा था, लेकिन कर्मचारी चयन मंडल ने कह दिया कि हर पास परीक्षार्थी को नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने अब मामले में विभागों को नोटिस जारी कर कहा कि खाली पद होने के बाद भी पास परीक्षार्थियों की काउंसलिंग क्यों नहीं की जा रही है। जानकारी के साथ सभी विभागों को बुलाया है। 12 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई होगी।