2 जुलाई से लगाई गई रोक
ज्ञापन में कहा गया है कि भारत गणराज्य का संविधान सभी नागरिकों को उनके धर्म के पालन की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसमें किसी को भी हस्तक्षेप का अधिकार नहीं देता है। लेकिन दो जुलाई 2025 को गुजरात में जूनागढ़ जिले के गिरनार पर्वत की पांचवीं टोंक पर जाने और पूजा करने से रोका जा रहा है। जबकि वहां जैन धर्म के 22वें तीर्थकर नेमिनाथजी मोक्ष गए थे और देश भर से आए हजारों जैन धर्मावलंबियों को उनके पूजा के अधिकार से वंचित रखा गया। न तो भगवान का जयकारा बोलने दिया गया और न ही कोई द्रव्य अर्पित करने दिया गया।
ASI ने माना है जैन तीर्थ स्थल
पुलिस के द्वारा से 10 से अधिक स्थानों पर चैकिंग की गई, कोई द्रव्य नहीं ले जाने दिया, बल्कि जिनके पास थी, उसे भी छीन लिया गया। जबकि भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग एवं गुजरात राज्य गजेटियर, में स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित किया गया है कि गिरनार पर्वत की पांचवीं टोंक मूल रूप से जैन तीर्थ है। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि जबकि गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2005 में स्पष्ट आदेश दिया था कि गिरनार पर्वत की पंचम टोंक पर कोई नया निर्माण न किया जाए। ज्ञापन देने वालों में अजीत जैन, नीतेश जैन, रजत जैन, चेतन जैन, राखी जैन, सुनील जैन आदि शामिल रहे।
यह मांगें भी की
एएसआई (ASI) और राज्य सरकार के गजेटियर का पालन सुनिश्चित किया जाए और अवैध दत्तात्रेय मूर्ति को हटाया जाए। गिरनार पर्वत की पांचवीं टोंक को संरक्षित जैन राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। अल्पसंयक जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का समान करते हुए गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक पर जैन समाज को पूजा के अधिकार से वंचित न किया जाए।