कमेटी में इनको किया शामिल कलक्टर संधू के निर्देश पर जांच कमेटी का गठन किया। इसमें नोडल अधिकारी खनिज अभियंता होंगे। जबकि आरपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल, जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता, उपखंड अधिकारी भीलवाड़ा व मांडल तथा तहसीलदार भीलवाड़ा व मांडल को सदस्य बनाया है।
यह है मामला भीलवाड़ा के जालिया गांव की 300 मीटर की परिधि में 12 से 15 मीटर का घेरा बनाकर उसमे 35 से 45 किलोग्राम बारूद भरकर 120 एमएम की भारी ब्लास्टिंग की जा रही है। जबकि न्यायालय ने लीज संख्या 627/5 पर वर्ष-2017 में एक आदेश पारित किया था, जिसमें जिंदल को मात्र 2 से 3 मीटर घेरा बनाकर उसमें 3 से 5 किलोग्राम बारूद भरकर केवल 34 एमएम की ब्लास्टिंग करने की अनुमति दी थी। यहां हेवी ब्लास्टिंग करने से जालिया गांव में कई मकान गिर चुके है। घरों में दरार आने से गिरने के कगार पर हैं। सुरास में जिंदल ने खसरा संख्या 2096 जो चरागाह भूमि है, में भी अवैध खनन कर रहा है। खसरा संख्या 1105 जो कि गैर मुमकिन रास्ता है, में भी अवैध खनन किया जा रहा है। मांडल के डेढ़वास, धूलखेड़ा, मालोला, सुरास की 340 हैक्टेयर चारागाह भूमि खनन के लिए जिंदल को आवंटित की, लेकिन आज तक उसके बदले में दूसरी भूमि चारागाह के लिए आवंटित नहीं की गई। इसके कारण पशुओं को चराने एवं उनका भरण पोषण के लिए परेशानी हो रही है।
समझौते की नहीं हुई पालना जिंदल व जालिया के लोगों के बीच 5 जनवरी 2025 को समझौता हुआ। इसमें जालिया के 40 लोगों को नौकरी देना था। वर्ष-2016 से पहले के पुराने मुआवजे की अदायगी 7 दिन में करना। झूठे मुकदमे वापस लेने। खनन के लिए ली गई भूमि का मुआवजा नई देर से देने। चारागाह भूमि के अधिग्रहण की एवज में मवेशियों के लिए चारा बढ़वाने, जहां खनन का कार्य होगा उस भूमि के पास वाली भूमि के किसान को रोजगार देना तय हुआ। लेकिन इन शर्तो की पालना नहीं हुई।
यह भी है समस्या पांसल की खसरा संख्या 21/44 में एक नाला है। इसके माध्यम से तालाब तक पानी आता था, उसे जिंदल ने बंद कर दिया। ग्रामीणों ने इस नाले को खोलने के लिए कई बार जिंदल के अधिकारियों से मांग की, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।