विभागीय लेटलतीफी का भुगतान अब विद्यार्थी करेंगे। शासकीय नियम से कॉलेजों की कक्षाएं1 जुलाई से शुरू हो चुकी हैं, यानी कोर्स 25 दिन पिछड़ गया। अधिकतर कॉलेज अतिथि व्यायाताओं के भरोसे हैं, जहां एक दिन कक्षाएं नहीं लग पाईं हैं। कायदे से, सेमेस्टर पद्धिती वाले इन छात्रों को पढ़ाई के लिए सिर्फ 90 दिन मिलेंगे, जिसके बाद दिसंबर में उनकी परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। अकेले दुर्ग संभाग में ही 726 अतिथि व्यायाता कॉलेजों में अटैच हैं। जिनको ११ महीने के लिए नियुक्ति दी जाएगी।
CG News: कुछ महीनों में और बढ़ेंगे रिक्त पद
दुर्ग जिले के सरकारी कॉलेजों में अगले कुछ महीनों में नियमित प्रोफेसर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इससे उनके पद खाली हो जाएंगे। इस तरह कॉलेजों में अतिथि व्यायाताओं की संया और बढ़ेगी। इसके अलावा पूर्व में विभाग ने प्रोफेसरों को प्रमोट कर प्राचार्य बना दिया है, जिसके बाद विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर पहले ही कम हो गए हैं। इनकी जगह भी कॉलेजों में अतिथि व्यायाता ही रखे जाएंगे। कुल मिलाकर दुर्ग जिले के अधिकतर कॉलेज पूरी तरह से अतिथि व्यायाताओं के भरोसे हैं। शासन ने जिले में नए
सरकारी कॉलेजों की सौगात भी दी, लेकिन नियमित प्रोफेसर नहीं दिए। दो कमरों में कॉलेज शुरू कर दिए गए, और इ स तरह विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया।
सरकारी कॉलेजों का बुरा हाल
जिले के सरकारी कॉलेजों में अतिथि व्यायाताओं के साथ-साथ लाइब्रेेरियन और क्रीड़ा अधिकारी रिक्त पदों पर रखे जा सकेंगे। जिले के 9 कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें पर्याप्त खेल मैदान की भी कमी है। दुर्ग जिले के 16 कॉलेजों में ही करीब 143 प्राध्यापकों की बेहद जरूरत है। शासन ने पद स्वीकृत कर दिए हैं, लेकिन इनमें भर्ती लंबित है। लिहाजा, सरकारी कॉलेजों में अतिथि व्यायाता पढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ 67 फीसदी निजी
कॉलेजों में शिक्षक अनुपात का नियम पूरी तरह चौपट है।
हेमचंद विवि की वरिष्ठता सूची बताती है कि जिन कॉलेजों को संबद्धता दी जाती रही है, उनमें से 30 कॉलेज में ही लाइब्रेरिन मौजूद है, यानी 131 कॉलेजों में ग्रंथालय और उसकी व्यवस्थाओं का पालन नहीं हो रहा। इनमें से 44 कॉलेजों में तो लाइब्रेरी ही नहीं है।