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Bharatpur : भरतपुर के चर्चित महंगाया गांव हत्याकांड मामले में 12 दोषियों को उम्रकैद, फैसला सुन 2 कोर्ट में हुए बेहोश

Mahangaya Gaon Massacre Bharatpur : भरतपुर के चर्चित महंगाया गांव हत्याकांड मामले में 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। फैसला सुनते ही 2 आरोपी कोर्ट में ही बेहोश हो गए। एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी थी।

भरतपुरJun 14, 2025 / 11:37 am

Sanjay Kumar Srivastava

Bharatpur Mahangaya Gaon Massacre 12 Convicts Sentenced to life imprisonment hearing verdict 2 fainted court

फाइल फोटो पत्रिका

Mahangaya Gaon Massacre Bharatpur : भरतपुर के चर्चित महंगाया गांव हत्याकांड मामले में आखिर इंतजार खत्म हुआ। महंगाया गांव हत्याकांड पर फैसला आ गया है। भरतपुर के अपर सेशन न्यायाधीश नंबर तीन रेखा वाधवा ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए हत्या के आरोप में 12 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। फैसला सुनते ही 2 आरोपी कोर्ट में ही बेहोश हो गए। एक आरोपी की अन्वीक्षा के दौरान मृत्यु हो गई।

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जानें क्या है मामला

महंगाया गांव हत्याकांड भरतपुर के बारे में अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने बताया कि परिवादी करन सिंह पुत्र केशव बघेल निवासी महंगाया ने 6 मार्च 2017 को एक लिखित रिपोर्ट घटना के तीन घंटे बाद आरबीएम अस्पताल में इस कथन के साथ प्रस्तुत की कि 5 मार्च 2017 की शाम को लक्ष्मी, अंगूरी व तारा सिंह की पत्नी में आपस में झगड़ा हो गया। इसका गांव वालों ने बीच-बचाव कर दिया।

पीड़ित पर किया हमला

अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने बताया कि दूसरे दिन विक्रम नहाने के लिए बगीची पर गया था। एक दिन पहले हुए झगड़े के कारण रास्ते में सुरेश के मकान पर एकराय मशविरा कर हरप्रसाद, शिब्बा, दिनेश, जीतू, कपिल, प्रेमचंद, हरगोविंद, अजय, मुरारी, रामचंद, महेश, रामवीर एवं भगवान सिंह हाथों में डंडा, सरिया, लाठी, फरसा व दरांत लेकर खड़े थे, जिन्होंने विक्रम पर हमला कर दिया और मारते-घसीटते हुए अंदर ले गए।
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डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया

रिपोर्ट में लिखा था कि मैं अपने बेटे विक्रम की आवाज सुनकर आरोपियों के घर गया। मेरे ऊपर भी आरोपियों ने हमला कर दिया। मेरी आवाज सुनकर मेरे भाई जवाहर सिंह आए। उन्होंने हमें बचाया। पर विक्रम सिंह के दिनेश ने मेरे सामने पेट में दरांत मारा तथा होंठ पर प्रेमचंद ने डंडा मारा। शिब्बा ने बाएं हाथ में फरसा मारा तथा हरगोविंद व अजय ने विक्रम के लाठी मारी, जिससे मेरा बेटा बेहोश हो गया। मैं और मेरा बेटा चोटिल हो गए। विक्रम को घायल अवस्था में आरबीएम अस्पताल लाए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

थाना उद्योग नगर में मामला दर्ज

इस पर थाना उद्योग नगर में मामला दर्ज कर तफ्तीश के बाद चार्जशीट न्यायालय में पेश की। न्यायालय ने अभियोजन की ओर से 28 गवाह पेश किए तथा आरोपियों ने साक्ष्य सफाई 7 गवाह पेश किए। न्यायाधीश रेखा वाधवा ने सभी आरोपियों को हत्या के आरोप का दोषी ठहराकर आजीवन कारावास से दंडित कर सेवर जेल भेजने के आदेश दिए। मामले की तत्कालीन थाना प्रभारी मुरारीलाल मीना ने तफ्तीश की। बाद में तफ्तीश के आधार पर पुलिस ने नामजद 13 आरोपियों में से चार आरोपी हरप्रसाद, शिब्बा, कपिल व जितेन्द्र कुमार के विरुद्ध चार्जशीट पेश की।
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उच्च न्यायालय में खारिज हुई याचिका

वरिष्ठ अधिवक्ता गंगा सिंह धनकर ने चार आरोपियों के अलावा शेष नौ आरोपियों को आरोपी बनवाने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसे न्यायाधीश ने स्वीकार कर शेष सभी नौ आरोपियों के विरुद्ध उनकी तलवी की। इस आरोपियों की ओर से उच्च न्यायालय में प्रसंज्ञान के विरुद्ध निगरानी पेश की, जो खारिज हो गई।

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