scriptऐसा लगा भारत-पाक के बीच युद्ध शुरू हो गया… जैसलमेर में धमाकों की गूंज के बीच ऑफिस में ही गद्दे बिछाकर काटी रात | Patrika Jaisalmer editor told the real experience of pakistan drone attack in jaisalmer Rajasthan | Patrika News
बाड़मेर

ऐसा लगा भारत-पाक के बीच युद्ध शुरू हो गया… जैसलमेर में धमाकों की गूंज के बीच ऑफिस में ही गद्दे बिछाकर काटी रात

जैसे ही यह खबर पूरे देश में फैली कि जैसलमेर में अटैक हुआ है। परिजनों के फोन आने लगे। जानिए जैसलमेर में पाकिस्तान के ड्रोन हमले के बीच ‘पत्रिका’ के रिपोर्टर कैसे काम कर रहे थे।

बाड़मेरMay 16, 2025 / 10:34 am

Santosh Trivedi

barmer ground report
बाड़मेर संपादक योगेन्द्र सेन की आपबीती

मैं 8 मई की सुबह कार से जैसलमेर के लिए रवाना हुआ। दोपहर जैसलमेर पहुंचा। ऑफिस के साथियों के साथ रूटीन मीटिंग चल रही थी। तभी करीब 3 बजे मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने सूचना जारी की। बताया कि पाकिस्तान ने बीती रात पश्चिमी राजस्थान के नाल, फलोदी और उत्तरलाई को भी हिट करने का प्रयास किया था।
भारतीय सैन्य बलों ने यूएएस ग्रिड व एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए इन हमलों को नाकाम कर दिया। इसके बाद हम सभी अलर्ट हो गए। चूंकि मेरा घर उत्तरलाई से बमुश्किल 8 किलोमीटर ही दूर है। ऐसे में परिवार को लेकर थोड़ी चिंता जरूर हुई। लेकिन बाड़मेर और जैसलमेर ​बिल्कुल शांत थे। बाजारों में चहल-पहल थी। किसी के चेहरे पर कोई तनाव नहीं था।

आसमान में ऐसा नजारा था जैसे दिवाली पर पटाखे फूट रहे हो

शाम होते-होते महौल बदलने लगा। रात 9 बजे से रेड अलर्ट जारी कर दिया गया और ब्लैकआउट कर दिया गया। जैसलमेर में ‘पत्रिका’ के ऑफिस में बैठकर मैं अपने साथियों के साथ काम निपटा रहा था। ब्लैकआउट के चलते चारों ओर अंधेरा था। हमने भी ऑफिस की खिड़कियां-दरवाजे बंद कर दिए थे। तभी अचानक जैसलमेर शहर पर पाकिस्तान ने ड्रोन से हमला कर दिया।
अचानक भारी फायरिंग की आवाजों से सब सन्न रह गए। हमने ऑफिस का दरवाजा खोल आसमान में देखा, तो ऊपर धमाके हो रहे थे। भारतीय सेना पाकिस्तानी ड्रोनों पर जबरदस्त फायर कर रही थी। भारी गोलाबारी की आवाजों ने मुझे अंदर तक हिला दिया।
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आसमान में ऐसा नजारा था जैसे दिवाली पर पटाखे फूट रहे हो। तभी स्टेट हेड अमित वाजपेयी का कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही पूछा, तुम ठीक हो। बाकी साथी सही सलामत हैं। मैंने कहा, जी हम बिलकुल ठीक हैं। दूसरी लाइन में बोले-फटाफट खबर भेजो।

सोशल मीडिया पर चल रही अपुष्ट खबरें थी बड़ी चुनौती

जैसे ही यह खबर पूरे देश में फैली कि जैसलमेर में अटैक हुआ है। परिजनों के फोन आने लगे। बेटी और पत्नी बार-बार कॉल लगाने लगीं। मैंने कहा ठीक हूं, चिंता मत करना। यह कहकर कॉल काट दिया। मां, पिताजी और छोटे भाई को पता नहीं था कि मैं जैसलमेर में हूं। जब उन्हें पता चला तो बोले-वहां क्या कर रहा हो। आप तो बाड़मेर थे। मैंने कहा आप चिंता न करें।
ऐसे हालात में डरना लाजमी था। ऐसा लग रहा था जैसे युद्ध शुरू हो गया। आसमान में रह-रहकर हो रही फायरिंग की आवाजें सुनकर सभी लोगों ने दरवाजे खिड़कियां बंद कर लिए थे। पाठकों तक सही और सटीक खबर पहुंचाने के लिए पूरी टीम देर रात तक जागती रही। इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर चल रही अपुष्ट खबरें थी।
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टीवी चैनलों और सोशल मीडिया साइटों पर यह खबर चल पड़ी कि पोकरण में भारत ने पाकिस्तान के एक विमान को मार गिराया है। उसका पायलट पकड़ लिया गया है। लेकिन पोकरण में हमारे संवाददाता ने बताया कि सर, ऐसी कोई जानकारी नहीं है। रात के 3 बजे चुके थे।

पूरी टीम ने ऑफिस में ही काटी रात

रेड अलर्ट और ब्लैकआउट के कारण मैं होटल नहीं पहुंच सका। मेरे साथी भी घर नहीं जा सके। तब हमने आसपास से गद्दों का इंतजाम कर ऑफिस में ही गद्दे बिछाए। मैं और मेरे साथी दीपक व्यास, चंद्रशेखर व्यास, केवलराम पंवार, हम चारों वहीं सो गए। इस दौरान कम्प्यूटर-लैपटॉप को ऑन ही रखा। पता नहीं कब खबर अपडेट करनी पड़ जाए।
सुबह उठे तो शहर शांत था। जैसलमेर का प्रमुख चौहारा हनुमान चौक पर दुकानें खुल चुकी थीं। लोगों की भीड़ थी। चौराहे पर खड़े होकर तमाम चैनल वाले रिपोर्टिंग कर रहे थे। मैं होटल पहुंचा तो देखते ही काउंटर पर बैठे नंदकिशोर उज्जव पूछते हैं, साहब रातभर कहा रहे। मैंने कहा, भाई ऑफिस में।
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इस दौरान यहां के लोगों को बिना चिंता के आते-जाते देख मैं हैरान था। रात को इतनी फायरिंग हुई और सुबह लोग अपने काम में व्यस्त थे। जबकि मेरे पास रह-रहकर रिश्तेदार, दोस्तों और परिजन के फोन आ रहे थे।

सुबह सीना तानकर घरों से निकले लोग

जैसलमेर में रात को ड्रोन हमले के बाद सेना और बीएसएफ बॉर्डर पर पूरी मुस्तैद थी। सेना की गतिविधियां बढ़ गई थीं। जैसलमेर में जहां रात में धमाकों से लोग दहशत में थे वहीं, सुबह सीना तानकर घरों से निकले। उनके चेहरे भारतीय सेना की जांबाजी से दमक रहे थे। हनुमान चौराहा पर भीड़ भारतीय सेना के जवाबी हमले की चर्चा गर्व से सुना रही थी।
इधर, अगले दिन 9 मई की रात को बाड़मेर में उत्तरलाई एयरबेस और जालिपा छावनी को भी पाकिस्तान ने टारगेट किया। राजस्थान की पिश्चिमी सीमा पर बाड़मेर और जैसलमेर सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। इसलिए पाकिस्तान यहां के ठिकानों को चुन-चुनकर निशाना बना रहा था। लेकिन भारतीय सेना ने सारे हमले नाकाम कर दिए थे।
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9 मई की रात भी ब्लैकआउट होने के कारण मैं काम निपटाकर होटल नहीं जा सका और रात ऑफिस में ही गुजारनी पड़ी। इस दौरान बार-बार परिवार के लोगों के फोन आते रहे। मेरे परिवार के लोग सरहदी इलाकों के वाकिफ नहीं है। इसलिए वे तनाव और चिंता में थे। मैंने उन्हें वीडियो कॉल कर शहर के हालात बताए तब जाकर उनकी चिंता दूर हुई।

सीमा से सटे गांवों के लोगों ने दिखाया हौसला

फिर 10 मई की सुबह मैं जैसलमेर से बाड़मेर रवाना हुआ। 150 किमी के सफर में रास्ते में कहीं कोई तनाव जैसे हालात नहीं दिखे। लेकिन दोपहर करीब 12 जब मैं शिव कस्बे पहुंचा तो दिन में ही रेड अलर्ट की सूचना आ गई। बाड़मेर में दाखिल हुए तो मेडिकल कॉलेज के पास हमारी गाड़ी रोक दी।
शहर में बाहर से आने वालों की एंट्री बंद थी। ऐसे में अपना परिचय देने पर पुलिस ने अंदर जाने दिया। वहां बाहर से आई बसों को रोकने के कारण यात्री पैदल ही शहर की ओर जा रहे थे। अपना सामान सिर पर उठाए चले जा रहे थे। आगे एक किरान की दुकान मिली। वहां ग्राहकों की भीड़ लगी थी।
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मैंने भी घर के लिए सब्जी और पोहा खरीद लिया। दिन तो निकल गया, लेकिन रात होते ही फिर जैसलमेर और बाड़मेर में सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान की नापाक हरकतें चालू हो गईं। ड्रोन हमले किए। पर सेना ने नेस्तनाबूद कर दिया। इस दौरान मैंने देखा कि सीमा से सटे गांवों के लोगों ने हौसला दिखाया। वे भी डटे रहे। कोई गांव छोड़कर नहीं गया।

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