बाड़मेर शहर के शिवकर रोड, महाबार रोड, गडरारोड, उत्तरलाई रोड, दानजी की होदी, बाड़मेर मगरा, जालीपा, हापों की ढाणी रोड, गेहूं रोड, बीदासर सहित कई क्षेत्रों में दर्जनों अवैध कॉलोनियां उभर चुकी हैं। नगर परिषद और यूआइटी क्षेत्र में बीते वर्षों में करीब 150 कॉलोनियां बिना अनुमति के विकसित हो चुकी हैं। कॉलोनाइजर रातों-रात भूखंड बेच रहे हैं, जिससे न तो मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं और न ही भूखंड धारकों को कानूनी अधिकार।
नोटिस फाइलों में दबे, कार्रवाई नहीं
वर्ष 2021 में यूआईटी ने अवैध कॉलोनियों का सर्वे किया था। लगभग 50 कॉलोनाइजर्स को नोटिस जारी कर भू-उपयोग परिवर्तन और मूलभूत सुविधाएं देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अधिकांश कॉलोनाइजरों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। फाइलें अब धूल फांक रही हैं और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बिना कन्वर्जन कॉलोनियों में भूखंड खरीदने वाले लोग बाद में परेशान हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें न तो बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं और न ही निर्माण की अनुमति। कॉलोनाइज़र शुरू में हर सुविधा का वादा करते हैं, लेकिन भूखंड बिक जाने के बाद गायब हो जाते हैं।
नया सर्वे भी ठंडे बस्ते में, खरीदारों को हो रही परेशानी
यूआइटी में 21 स्टाफ स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में महज़ दो ही उपलब्ध हैं। स्टाफ की कमी के कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है। सर्वे कराया था, नोटिस भी दिए गए, लेकिन आगे की प्रक्रिया रुकी हुई है। स्टाफ उपलब्ध हो तो कार्रवाई संभव है।
-श्रवणसिंह राजावत, सचिव, यूआइटी बाड़मेर शहर के आसपास काटी जा रही कॉलोनियों का सर्वे करवाया गया है। पूर्व में भी नोटिस दिए गए हैं। अब उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-हुकमीचंद, तहसीलदार बाड़मेर